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December 4, 2025

कांगड़ा-शिमला बराबर कर रहे CM सुक्खू: 2 और दफ्तर लोअर हिमाचल में शिफ्ट हुए

सीएम सुक्खू ने शिमला से कई कार्यालयों को कांगड़ा किया शिफ्ट

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CM Sukhu Kangra Development

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में यह बात लंबे समय से कही जाती रही है कि सत्ता की चाबी कांगड़ा के हाथों में होती है, लेकिन विडंबना यह रही कि इतने प्रभावशाली जिले को राज्य गठन से अब तक सिर्फ मंत्री ही मिलते रहे, विकास के बड़े निर्णय नहीं। कांगड़ा से मंत्री तो कई बने, लेकिन जिला अपने हिस्से का हक और बड़े प्रोजेक्ट कभी नहीं देख पाया। प्रदेश की सत्ता संभालने वाली अब तक की सरकारों ने प्रदेश को मंत्री तो दिए, लेकिन विकास के नाम पर कांगड़ा जिला को आज तक कुछ खास नहीं मिला। या यूं कहें कि कांगड़ा जिला के मंत्री भी अपने जिला के लिए कुछ खास नहीं कर पाए। 

कांगड़ा-शिमला को बराबर कर रहे सीएम

मगर मौजूदा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस परंपरागत राजनीति की दिशा को बदल दिया है। वे पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने कांगड़ा को सिर्फ राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं, बल्कि व्यावहारिक विकास, अहम संस्थान और बड़े प्रोजेक्ट देकर जिला की असल तस्वीर बदलने की शुरुआत की है। सीएम सुक्खू कांगड़ा जिला को भी शिमला के बराबर बनाने की तर्ज पर काम कर रहे हैं। सीएम सुक्खू ने शिमला से कई कार्यालयों को कांगड़ा जिला में शिफ्ट करवा दिया है। इसी कड़ी में अब दो और कार्यालय शिमला से शिफ्ट किए जा रहे हैं।

 

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सीएम सुक्खू ने कांगड़ा को क्या दिया

सत्ता में आते ही सीएम सुक्खू ने कांगड़ा को केवल एक जिला नहीं, बल्कि हिमाचल की भविष्य की पर्यटन राजधानी के रूप में विकसित करने का लक्ष्य तय किया। कांगड़ा में राज्य का सबसे बड़ा चिड़ियाघर बन रहा है, जो प्रदेश के पर्यटन नक्शे पर एक बड़ा आकर्षण बनने जा रहा है। इतिहास में पहली बार सबसे लंबा शीतकालीन विधानसभा सत्र भी मुख्यमंत्री सुक्खू ने धर्मशाला के तपोवन में आयोजित करवाया। यह कदम भी कांगड़ा को प्रशासनिक और राजनीतिक दृष्टि से मजबूत बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ।

 

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शिमला से कई कार्यालय कांगड़ा शिफ्ट

सीएम सुक्खू ने अब एक और बड़ा फैसला लेते हुए शिमला के कई कार्यालय कांगड़ा की ओर स्थानांतरित करने शुरू कर दिए हैं। शिमला शहर में बढ़ती जनसंख्या, ट्रैफिक जाम और करोड़ों रुपए के किराए को देखते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि सात कार्यालय शिमला से बाहर भेजे जा चुके हैं, जबकि दो और प्रमुख कार्यालयों को शिमला से कांगड़ा और ऊना जिला में शिफ्ट किया जा रहा है। जिसमें राज्य सूचना आयोग का कार्यालय शिमला से धर्मशाला और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कार्यालय शिमला से ऊना शिफ्ट किया जा रहा है।

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सरकार को होगी करोड़ों की वचत

मुख्यमंत्री ने विधानसभा में बताया कि पूर्व सरकार ने एक हजार करोड़ रुपए खर्च कर कई भवन बनाए, जिनमें से अधिकतर खासकर कांगड़ा जिले में, आज भी खाली पड़े हैं। यही वजह है कि सरकार ने इन्हें उपयोग में लाने का फैसला लिया है, ताकि सरकार को शिमला में किराये के भवनों पर करोड़ों रुपए खर्च ना करने पड़े। सरकार के इस फैसले से सरकारी खजाने पर पड़ने वाले बोझ में भी कमी आएगी।

कर्मचारियों को देंगे विकल्प

सीएम सुक्खू ने कहा कि शिमला से जिन कार्यालयों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जा रहा है, उनके कर्मचारियों को कोई दिक्कतें नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को विकल्प दिया जाएगा। जो कर्मचारी नए स्थान पर जाना चाहते हैं, वह वहां जा सकते हैं, और जो नहीं जाना चाहते हैं उन्हें यहीं पर दूसरे विभागों में समायोजित किया जाएगा। ऐसी स्थिति में शिफ्टेड कार्यालयों में नई भर्ती की जाएगी।

शिमला से अब तक यह कार्यालय हुए शिफ्ट

 

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सदन में क्या बोले सीएम सुक्खू

मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि कार्यालयों को शिफ्ट करना किसी को सजा देना या किसी का पक्ष लेना नहीं, बल्कि शिमला की भीड़भाड़ कम करना और खाली पड़े सरकारी संसाधनों का बेहतर उपयोग करना है। लेकिन सीएम सुक्खू के इस कदम ने कांगड़ा को वह स्थान दिलाया है, जिसका वह दशकों से इंतजार कर रहा था। 

कांगड़ा बनेगा अब विकास का केंद्र

कांगड़ा जिला को लंबे समय तक केवल राजनीतिक कुंजी समझा गया। लेकिन वास्तविक विकास से वंचित रखा गया। सीएम सुक्खू के निर्णयों ने पहली बार इस धारणा को बदला है। चिड़ियाघर से लेकर पर्यटन राजधानी की पहल, तपोवन में ऐतिहासिक सत्र, शिमला से कार्यालयों का स्थानांतरण ये सब संकेत हैं कि कांगड़ा अब हिमाचल ही नहीं, विश्व के पर्यटनदृप्रशासनिक मानचित्र पर एक उभरते हुए जिले के रूप में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

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