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March 4, 2025

चिंतपूर्णी माता ने संवारे बिगड़े काम, भक्त ने मंदिर में चढ़ाया भव्य चांदी का छत्र

पंजाब के श्रद्धालु ने गुप्त रखी अपनी पहचान

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Chintpurni Himachal

ऊना। देवभूमि हिमाचल के मंदिरों और शक्तिपीठों से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यहां के मंदिरों में स्थानीय और बाहरी राज्यों के लोगों की भीड़ देखने को मिलती है। इन मंदिरों में कई भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वो भेंट स्वरूप मंदिरों में कई तरह की कीमती चीजें चढ़ाते हैं।

श्रद्धालु ने चढ़ाया चांदी का छत्र

अब ताजा मामले ऊना जिले में स्थित चिंतपूर्णी माता मंदिर एक बार फिर भव्य भेंट से सुर्खियों में आ गया है। चिंतपूर्णी मंदिर के दरबार में एक श्रद्धालु ने एक किलो से अधिक वजन का चांदी का भव्य छत्र भेंट किया है।

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पंजाब से आया था श्रद्धालु

मंदिर प्रशासन ने बताया कि बीते कल पंजाब से आए श्रद्धालु ने माता के दरबार में 1 किलो 440 ग्राम चांदी का भव्य छत्र भेंट किया। मगर उसने अपना नाम सार्वजनिक नहीं किया। जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी कुणाल कालिया ने बताया कि श्रद्धालु द्वारा भेंट किया गया ये छत्र भव्य कारीगरी का उत्कृष्ट नमूना है। यह छत्र शुद्ध चांदी से तैयार किया गया है। इस छत्र की कीमत एक लाख 40 हजार रुपए बताई जा रही है।

सोने का मुकुट किया भेंट

आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी श्रद्धुाल ने माता के दरबार में भव्य भेंट अर्पित की हो। इससे पहले भी कई श्रद्धालु मंदिर में नकदी, आभूषण और गाड़ियां तक दान कर चुके हैं। अभी हाल ही में पंजाब के एक श्रद्धालु ने मां के चरणों में चांदी का तस्का और एक ने चांदी का छत्र भेंट किया था। इसी श्रद्धालु ने पहले मां के चरणों में सोने का मुकुट भी चढ़ाया था।

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यहां गिरे थे माता सती के पैर

उल्लेखनीय है कि, भक्तों की सभी चिंताएं हर लेनी वाली माता चिंतपूर्णी का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है-जहां माता सती के पैर गिरे थे। यहां पर हर साल सैंकड़ों श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं।

 

हिमाचल के छिन्नमस्तिका माता चिंतपूर्णी मंदिर के चारों ओर भगवान शिव रक्षक बनकर विराजते हैं। इस मंदिर में माता रानी ने अपने भक्त को कन्या रूप में दर्शन भी दिए थे- जिसके प्रमाण आज भी मंदिर में मौजूद हैं।

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चारों ओर शिव करते हैं वास

चिंतपूर्णी मंदिर की एक खासियत यह भी है कि मंदिर के चारों ओर स्वयं भगवान शिव वास करते हैं। मंदिर के पूर्व में कालेश्वर महादेव मंदिर, पश्चिम में नारायण महादेव मंदिर, उत्तर में मककंद महादेव मंदिर और दक्षिण में शिव बारी मंदिर आज भी मौजूद हैं।

मुख्य द्वार के पास पड़ा है पत्थर

पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र होता है कि यहीं पर मां भगवती ने भक्त 'मैदास जी' को कन्या रूप में साक्षात दर्शन दिए थे और उनकी चिंता दूर हो गई थीं। कहा जाता है कि मैदास जी को दर्शन देने के बाद माता ने उनसे कहा कि वो जहां से भी पत्थर हटाएंगे-वहां से पानी निकलना शुरू हो जाएगा। ऐसे में माता के कहे अनुसार, भक्त मैदास ने जब वहां से पत्थर हटाया तो उसी स्थान से जल प्रवाह शुरू हो गया। आज भी इस पानी से बना तालाब मौके पर मौजूद है। साथ ही भक्त मैदास ने जिस पत्थर को निकाला था- वो पत्थर आज भी माता चिंतपूर्णी मंदिर के मुख्य द्वार के पास दाईं ओर रखा देखा जा सकता है।

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