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February 1, 2025
चिंतपूर्णी मंदिर में श्रद्धालु ने चढ़ाया चांदी का छत्र, पहले भेंट किया था सोने का मुकुट
श्रद्धालु ने सार्वजनिक नहीं किया अपना नाम
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ऊना। देवभूमि हिमाचल के मंदिरों और शक्तिपीठों से लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यहां के मंदिरों में ना सिर्फ स्थानीय लोगो बल्कि बाहरी राज्यों के लोगों की भी भीड़ देखने को मिलती है। इन मंदिरों में कई भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और वो भेंट स्वरूप मंदिरों में कई तरह के चीजें चढ़ाते हैं।
इसी कड़ी में अब ताजा मामला ऊना जिले से सामने आया है। यहां स्थित चिंतपूर्णी माता मंदिर एक बार फिर भव्य भेंट से सुर्खियों में आ गया है। श्रद्धा और भक्ति के केंद्र चिंतपूर्णी मंदिर के दरबार में एक श्रद्धालु ने एक किलो से अधिक वजन का चांदी का छत्र भेंट किया है।
दिलचस्प बात ये हैं कि ये अज्ञात श्रद्धालु एक बार पहले माता के दरबार में सोने का मुकुट चढ़ा चुका है। अब इस श्रद्धालु ने मां के चरणों में चांदी का छत्र भेंट किया है। इस छत्र की कीमत एक लाख रुपए से अधिक बताई जा रही है।
जानकारी देते हुए मंदिर प्रशासन ने बताया कि जिस श्रद्धालु ने ये छत्र भेंट किया है- वो श्रद्धालु पंजाब से आया था। मगर उसने अपना नां सार्वजनिक नहीं किया। उन्होंने बताया कि ये श्रद्धालु पहले भी माता के दरबार में सोने का मुकुट चढ़ा चुका है।
आपको बता दें कि चिंतपूर्णी मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक हैं। यहां पर हर साल सैंकड़ों श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी श्रद्धुाल ने माता के दरबार में भव्य भेंट अर्पित की हो। इससे पहले भी कई श्रद्धालु मंदिर में नकदी, आभूषण और गाड़ियां तक दान कर चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि, भक्तों की सभी चिंताएं हर लेनी वाली माता चिंतपूर्णी का यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है-जहां माता सती के पैर गिरे थे। हिमाचल के छिन्नमस्तिका माता चिंतपूर्णी मंदिर के चारों ओर भगवान शिव रक्षक बनकर विराजते हैं। इस मंदिर में माता रानी ने अपने भक्त को कन्या रूप में दर्शन भी दिए थे- जिसके प्रमाण आज भी मंदिर में मौजूद हैं।
चिंतपूर्णी मंदिर की एक खासियत यह भी है कि मंदिर के चारों ओर स्वयं भगवान शिव वास करते हैं। मंदिर के पूर्व में कालेश्वर महादेव मंदिर, पश्चिम में नारायण महादेव मंदिर, उत्तर में मककंद महादेव मंदिर और दक्षिण में शिव बारी मंदिर आज भी मौजूद हैं।
पौराणिक कथाओं में इसका जिक्र होता है कि यहीं पर मां भगवती ने भक्त 'मैदास जी' को कन्या रूप में साक्षात दर्शन दिए थे और उनकी चिंता दूर हो गई थीं। कहा जाता है कि मैदास जी को दर्शन देने के बाद माता ने उनसे कहा कि वो जहां से भी पत्थर हटाएंगे-वहां से पानी निकलना शुरू हो जाएगा।
ऐसे में माता के कहे अनुसार, भक्त मैदास ने जब वहां से पत्थर हटाया तो उसी स्थान से जल प्रवाह शुरू हो गया। आज भी इस पानी से बना तालाब मौके पर मौजूद है। साथ ही भक्त मैदास ने जिस पत्थर को निकाला था- वो पत्थर आज भी माता चिंतपूर्णी मंदिर के मुख्य द्वार के पास दाईं ओर रखा देखा जा सकता है।