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July 31, 2025

आपदा से जूझ रहे हिमाचल को केंद्र और वर्ल्ड बैंक ने दी राहत, 2388 करोड़ की परियोजना को दी मंजूरी

CM सुक्खू की पहल लाई रंग, बाढ़ और भूस्खलन से टूटी सड़कों और भवनों का होगा पुनर्निर्माण

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World Bank gives relief to Himachal

शिमला। प्राकृतिक आपदाओं और आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश के लिए एक बड़ी राहतभरी खबर सामने आई है। वर्ल्ड बैंक ने प्रदेश को आपदा से प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण और आपदा प्रबंधन क्षमताओं को सुदृढ़ करने के लिए "डिजास्टर रिकवरी एंड रेजीलियंस स्ट्रेथनिंग"  नामक बहुपक्षीय सहायता परियोजना को स्वीकृति दे दी है। इस परियोजना के अंतर्गत कुल 2388 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिसमें से 2150 करोड़ रुपए की राशि वर्ल्ड बैंक वहन करेगा, जबकि शेष राशि राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएगी।

आपदा प्रभावितों को मिलेगी राहत

यह परियोजना ऐसे समय में स्वीकृत हुई है जब हिमाचल प्रदेश लगातार मानसूनी तबाही, भूस्खलन और बादल फटने जैसी आपदाओं से प्रभावित होता रहा है। बीते वर्ष हुई भारी तबाही ने प्रदेश के बुनियादी ढांचे को गहरा नुकसान पहुंचाया है। स्कूल, सड़कें, पुल, पेयजल योजनाएं और सरकारी भवन बड़ी संख्या में क्षतिग्रस्त हुए हैं। ऐसे में यह वित्तीय सहायता प्रदेश के लिए न सिर्फ आर्थिक सहारा बनेगी, बल्कि विकास की गति को भी पुनः पटरी पर लाने में मदद करेगी।

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सीएम सुक्खू ने केंद्रीय वित मंत्री से की थी चर्चा

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में दिल्ली दौरे के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से इस विषय में विस्तृत चर्चा की थी। बैठक के सकारात्मक नतीजों के बाद केंद्र सरकार ने वर्ल्ड बैंक के इस प्रोजेक्ट के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। वर्ल्ड बैंक की एक उच्चस्तरीय टीम पहले ही शिमला पहुंचकर राज्य के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना से मुलाकात कर चुकी है और प्रारंभिक सर्वेक्षण भी किया जा चुका है।

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डीपीआर बनाने के दिए निर्देश

मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे इस परियोजना के तहत संभावित कार्यों की पहचान कर प्रस्ताव जल्द से जल्द तैयार करें। दिसंबर 2025 तक सभी विभागों से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर पीएमयू यानी प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग यूनिट को सौंपनी होगी। इसके बाद वर्ल्ड बैंक और भारत सरकार के बीच लोन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

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हिमाचल को अनुदान के रूप में वर्ल्ड बैंक देगा ऋण

विशेष बात यह है कि हिमाचल प्रदेश को विशेष श्रेणी का राज्य होने के कारण इस परियोजना के तहत मिलने वाला वर्ल्ड बैंक का ऋण भारत सरकार के माध्यम से राज्य को अनुदान के रूप में प्राप्त होगा, यानी इसे लौटाने की बाध्यता नहीं होगी। इससे प्रदेश के वित्तीय बोझ में कोई अतिरिक्त वृद्धि नहीं होगी। परियोजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य के राजस्व विभाग का डिजास्टर मैनेजमेंट विंग नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।

 

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प्रदेश सरकार का मानना है कि इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से न केवल आपदाग्रस्त क्षेत्रों का तेजी से पुनर्निर्माण हो सकेगा, बल्कि भविष्य में आपदाओं से निपटने की क्षमता भी मजबूत होगी। मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस परियोजना को प्रदेश की आर्थिक और पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए मील का पत्थर बताया है। हिमाचल जैसे पर्वतीय राज्य के लिए यह परियोजना एक नई उम्मीद लेकर आई है, जो न केवल पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक संजीवनी बनेगी, बल्कि राज्य की आपदा प्रबंधन प्रणाली को आधुनिक और टिकाऊ बनाने की दिशा में भी एक अहम कदम साबित होगी।

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