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July 4, 2025
हिमाचल : मलबे के सैलाब में बह गया था बिशन सिंह, रातभर पेड़ की टहनी पकड़कर बचाया खुद को
नजरों से सामने मलबे के तेज बहाव में बह गई महिला
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मंडी। हिमाचल प्रदेश की सराज घाटी इन दिनों प्राकृतिक कहर की सबसे भयानक तस्वीर बन चुकी है। भूस्खलन, बादल फटना और बेकाबू बारिश ने इस घाटी को चारों ओर से घेर लिया है। जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ है, और लोग पूरी तरह से बेसहारा हो गए हैं। लेकिन इस अंधकार में भी इंसानियत की कुछ मिसालें हैं, जिन्होंने यह साबित कर दिया है कि मुश्किलें चाहे जितनी बड़ी हों, इंसानी हौसले उनसे कहीं ज्यादा मजबूत हो सकते हैं।
सराज घाटी के निहरी गांव के रहने वाले बिशन सिंह 30 जून की रात को अपने घर पर थे, जब अचानक तेज बारिश के साथ बाखली खड्ड में भयंकर बाढ़ आ गई। उसका घर नाले के बिल्कुल पास स्थित है।
अचानक आए सैलाब ने घर को चारों तरफ से घेर लिया। बिशन सिंह के घर में उस वक्त उसका परिवार मौजूद था, साथ ही पास ही बने पॉलीहाउस में पश्चिम बंगाल का एक मजदूर दंपती भी उनके साथ रह रहा था। जान बचाने के लिए जब सभी लोग घर से भागे। इसी अफरा-तफरी में बिशन सिंह फिसलकर दलदल में फंस गया और बहते हुए कुछ दूरी तक चला गया।
बहते-बहते बिशन सिंह ने किसी तरह एक पेड़ की टहनी पकड़कर खुद को रोका। परिवार के लोगों ने जोखिम उठाते हुए उसे किसी तरह बाहर निकाला, लेकिन तब तक बिशन सिंह गंभीर रूप से घायल हो चुका था। उसकी एक टांग टूट चुकी थी। किसी तरह बिशन सिंह मौत को मात देकर घर पहुंचा। पूरी रात बारिश के बीच पूरे परिवार के साथ खुले आसमान के नीचे गुजारी। सुबह जब बाढ़ का पानी कुछ कम हुआ, तो वे किसी तरह पुराने घर की ओर शरण लेने चले गए।
घायल बिशन सिंह को स्थानीय स्तर पर दो दिन तक दर्द की दवाएं दी गईं, लेकिन हालत बिगड़ती जा रही थी। बारिश के चलते सड़क मार्ग बंद, संचार सेवाएं ठप और बिजली गायब — ऐसे में किसी भी सरकारी सहायता तक पहुंचना असंभव था। लेकिन गांववालों ने हार नहीं मानी।
बिशन सिंह के बेटे पारस ने बताया कि जैसे ही मौसम थोड़ा साफ हुआ- 30-35 गांववालों ने एक कुर्सी को पालकी में तब्दील किया और बारी-बारी से कंधों पर उठाकर उसके पिता बिशन सिंह को करीब 30 किलोमीटर दूर बगस्याड तक पैदल लेकर पहुंचे। वहां से फिर एक निजी गाड़ी में उन्हें मंडी के जोनल हॉस्पिटल लाया गया, जहां अब उनका इलाज चल रहा है।
पारस ने बताया कि सराज घाटी में इस वक्त बिजली नहीं है, मोबाइल नेटवर्क नहीं है, और न ही सड़कें बची हैं। हालात इतने खराब हैं कि पैदल चलने लायक रास्ते भी पूरी तरह से टूट चुके हैं। ऐसे में उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि मदद के लिए कहां जाएं और किससे संपर्क करें। यही वजह थी कि गांववालों ने खुद ही बिशन सिंह को अस्पताल पहुंचाने की जिम्मेदारी ली।
बिशन सिंह ने अस्पताल में भर्ती होने के बाद बताया कि उनके साथ जो पश्चिम बंगाल का मजदूर दंपती रह रहा था, उसमें से महिला अब तक लापता है। संभवत: वह तेज बाढ़ में बह गई। परिवार और गांववाले अब भी उसकी तलाश कर रहे हैं।