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April 10, 2025
कैंसर पीड़िता को मझदार में छोड़ गया पति, हिमाचल में दी बीमारी को मात; मिला 'शेरनी' नाम
पति ही नहीं, मायके और ससुराल ने भी साथ छोड़ दिया
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शिमला। कहते हैं कि इस जंगल जैसी दुनिया में सभी को अकेले ही अपनी जंग लड़नी पड़ती है। अंजलि के साथ यही हुआ। कैंसर से लड़ती अंजलि की बीमारी को जानकर भी परिवार ने उसे छोड़ दिया। आखिर में उसने हिमाचल में पनाह ली। IGMC में इलाज चला और आज हिमाचलियत के सहारे वह अपने पैरों पर खड़ी है। अंजलि की कहानी हिमाचल के ऊंचे पहाड़ों से भी ऊंची है। आज भी उसे उसके मोहल्ले के लोग, दोस्त सभी शेरनी कहकर बुलाते हैं।
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बिहार के सीवान की रहने वाली अंजलि को 2007 में गर्भाशय का कैंसर डिटेक्ट हुआ। उस समय उसकी उम्र महज 22 साल थी। उसके पति को यह बात मालूम थी, लेकिन उसने नहीं बताई और न ही उसका इलाज करवाया। बल्कि उसके साथ मारपीट शुरू कर दी। अंजलि के मायके पक्ष ने भी उसका साथ नहीं दिया तो एक दिन उसने सोचा कि मरने से पहले कुछ करके दिखाना है।
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उसने हिमाचल आने की सोची। इसके लिए उसने अपने गहने तक बेच दिए और शिमला के समरहिल में आकर किराए का एक मकान तलाशा और अकेली रहने लग गईं। मकान मालिक को जब उसकी बीमारी का पता चला तो उसने किराया तक नहीं मांगा। शिमला के IGMC में अंजलि का इलाज शुरू हुआ। डॉक्टरों, पड़ोसियों और एक एनजीओ की मदद से अंजलि ने कीमोथेरेपी जैसी दर्दनाक प्रक्रिया से गुजरकर खुद को स्वस्थ किया।
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अंजलि पहले कागज के लिफाफे बनाकर अपना गुजारा चलाती थीं। जब पूरी तरह से ठीक हुईं तो उसने लोगों के घरों में काम करना शुरू किया। IGMC के डॉक्टरों को कैंसर से लड़ने की उसकी हिम्मत और हौसला खूब पसंद आया। इसी के कारण डॉक्टरों ने उन्हें शेरनी कहना शुरू किया। धीरे-धीरे यह उपनाम अंजलि के दोस्तों और पड़ोसियों तक को पसंद आया। आज अंजलि कैंसर को पूरी तरह से मात दे चुकी हैं और इसके लिए अपने डॉक्टरों, दोस्तों और मकान मालिक को हर रोज याद करती हैं, जिनकी मदद के बिना वह इस जंग को कभी जीत नहीं पातीं।