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October 23, 2025

हिमाचल: 100 साल की इस दादी ने 'ना खाई कभी दवा - ना पहना चश्मा' रोज 4 KM चलती है पैदल

परिवार ने दुर्गा देवी का मनाया 100वां जन्मदिन 

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100 year old dadi mandi

मंडी। आज के दौर में जहां छोटी उम्र में ही लोग बीमारियों से जूझ रहे हैं, दवाइयों के सहारे जी रहे हैं और कमज़ोर नज़र के कारण बच्चों तक को चश्मा लगाना पड़ रहा है, वहीं हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की एक 100 साल की दादी अपनी सेहत को लेकर लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है। मंडी जिला के छोटे से गांव गरोड़ू की रहने वाली 100 वर्षीय दुर्गा देवी आज भी पूरी तरह से स्वस्थ है। 100 साल की उम्र में भी यह महिला न केवल पूरी तरह स्वस्थ हैं, बल्कि रोज़ाना चार किलोमीटर पैदल चलती हैं, कभी दवा नहीं खाई और आज तक चश्मा लगाने की ज़रूरत भी नहीं पड़ी।

चार किलोमीटर पैदल चलना है रोज़ का नियम

जोगिंद्रनगर उपमंडल के गरोडू गांव की दुर्गी देवी का जीवन अनुशासन और सादगी का प्रतीक है। उम्र ने उनके कदम नहीं थकाए, आज भी वे बिना किसी सहारे के रोज़ गांव के आसपास चार किलोमीटर पैदल सैर करती हैं। उनका कहना है कि मेरी असली ताकत मेरा परिवार और भगवान पर भरोसा है। जब मन खुश रहता है, तो शरीर भी ठीक रहता है। उनकी इस ऊर्जा और जीवनशक्ति को देखकर गांव के लोग भी दंग हैं।

 

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1925 में जन्मी, आज भी आत्मनिर्भर

22 अक्टूबर, 1925 को जन्मी दुर्गी देवी के परिवार ने हाल ही में उनका 100वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर पूरे गांव में खुशी की लहर थी। परिवार ने दादी के जन्मदिन पर पारंपरिक धाम का आयोजन किया और तीन पीढ़ियां इस अनोखे जश्न में एक साथ जुटीं। उनके बड़े बेटे नागपाल अत्री 64 साल के हैं, जबकि दूसरे बेटे गोविंद राम 61 वर्ष के हैं। सबसे छोटे बेटे इंद्र की उम्र इस समय 58 साल है। सभी मां की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य को भगवान का आशीर्वाद मानते हैं।

 

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कभी नहीं खाई दवा

दुर्गी देवी ने बताया कि उन्होंने जीवन भर सादा भोजन किया। घर की दाल, सब्ज़ी, देसी घी और मौसमी फलों का ही सेवन किया। वह कहती हैं कि भोजन में सादगी और मन में संतोष रखो, फिर कोई बीमारी पास नहीं आती। परिवार के लोगों का कहना है कि दादी का रहन.सहन बेहद सरल है। वे सुबह सूर्योदय के साथ उठती हैं, पूजा-पाठ करती हैं और फिर घर के कामों में हाथ बंटाती हैं। वह न केवल शारीरिक रूप से सक्रिय हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी बेहद प्रसन्नचित्त और संतुलित हैं।

 

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देखने और सुनने में नहीं कोई परेशानी

दुर्गी देवी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि 100 साल की उम्र हो जाने के बाद भी उन्होंने आज तक कभी चश्मा नहीं पहना। मतलब उनकी देखने और सुनने की क्षमता अभी भी सामान्य है। दुर्गा देवी के पोते शुभम अत्री बताते हैं कि  दादी आज भी अखबार पढ़ लेती हैं, हर बात साफ़-साफ़ सुनती हैं और परिवार के हर सदस्य को सलाह देती हैं। उनका आत्मविश्वास हमें प्रेरित करता है।

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सनातनी जीवनशैली बनी स्वास्थ्य का राज़

दुर्गी देवी सनातनी जीवनशैली का पालन करती हैं। वह पूजा-पाठ, दान और सेवा में विश्वास रखती हैं। गांव के लोग बताते हैं कि वह हमेशा दूसरों की मदद के लिए आगे रहती हैं। कोई जरूरतमंद आए तो बिना सोचे मदद कर देती हैं। उनकी सादगी, सकारात्मक सोच और प्रेमभाव ने ही उन्हें इतना लंबा और स्वस्थ जीवन दिया है। 

आधुनिक युग के लिए एक संदेश

दुर्गी देवी का जीवन आज की पीढ़ी के लिए एक जीवंत उदाहरण है। जहां एक तरफ़ आधुनिक जीवनशैली में लोग दवाओं और तनाव के जाल में फंसे हैं, वहीं 100 साल की यह महिला बताती हैं कि स्वस्थ शरीर के लिए दवा नहीं, सादगी, स्नेह और संतुलन जरूरी है।

परिवार की शान, समाज की प्रेरणा

दुर्गी देवी न सिर्फ़ अपने परिवार की शान हैं, बल्कि पूरे इलाके के लिए प्रेरणास्त्रोत बन चुकी हैं। उनकी मुस्कान और जीवन के प्रति उत्साह यह संदेश देता है कि अगर सोच सकारात्मक हो और जीवन सादा, तो उम्र केवल एक संख्या रह जाती है।

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