#हिमाचल
April 19, 2025
हिमाचल में थमा वेतन और भत्तों का पहिया, केंद्र ने घटाया फंड- कटौती की चपेट में मनरेगा कर्मी
आदेश का उल्लंघन करने पर वसूली का फरमान
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में मनरेगा कर्मियों के लिए बुरी खबर है। केंद्र सरकार की ओर से 2025-26 के लिए मनरेगा बजट में की गई कटौती के बाद प्रदेश सरकार ने सभी तकनीकी और गैर-तकनीकी कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी और भत्तों पर रोक लगा दी है। इससे 2550 से अधिक कर्मचारी सीधे तौर पर प्रभावित होंगे।
केंद्र सरकार ने इस वर्ष हिमाचल को मिलने वाले श्रम बजट को 300 लाख मानव दिवसों से घटाकर 250 लाख मानव दिवस कर दिया है। यही बजट मनरेगा कर्मचारियों के वेतन और भत्तों का प्रमुख आधार होता है। अब इस कटौती के चलते प्रशासनिक और सामग्री मद में भी सीमित फंड मिलेगा।
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इसी के चलते ग्रामीण विकास विभाग के निदेशक-सह-आयुक्त राघव शर्मा ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों, एडीसी, जिला और खंड विकास अधिकारियों को पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी मनरेगा कर्मी को डीए, वेतन वृद्धि या अन्य वित्तीय लाभ न दिए जाएं।
पत्र में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि किसी अधिकारी ने इन निर्देशों का उल्लंघन करते हुए वेतन बढ़ोतरी या भत्तों का भुगतान किया तो उससे वह राशि व्यक्तिगत रूप से वसूली जाएगी। किसी भी प्रस्ताव को न तैयार किया जाए और मौजूदा फंड ट्रांसफर आदेश रद्द माने जाएं।
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मनरेगा योजना के तहत निर्माण सामग्री के लिए जहां 60 फीसदी राशि केंद्र देता है, वहीं 40 फीसदी राज्य सरकार खर्च करती है। इसी तरह 100 कार्य दिवस केंद्र उपलब्ध करवाता है और 20 अतिरिक्त कार्य दिवस प्रदेश सरकार देती है।
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प्रदेश सरकार सालाना लगभग 80 करोड़ रुपये मनरेगा कर्मचारियों के वेतन पर खर्च करती है। इन कर्मचारियों में 1205 ग्राम रोजगार सेवक, 1205 तकनीकी सहायक, 122 कंप्यूटर ऑपरेटर, 25 जूनियर अकाउंटेंट और दर्जनों इंजीनियर शामिल हैं।