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December 15, 2025
हिमाचल : युवक ने अपने ही गांव की लड़की से की शादी, अब डर के साए में जी रहे माता-पिता; जानें
लड़की के घरवाले शादी से नखुश- लड़के के माता-पिता को रहे परेशान
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हमीरपुर। हम भले ही आधुनिकता और प्रगतिशील सोच की बातें करते हों, लेकिन समाज के कई हिस्सों में आज भी प्रेम विवाह को सहज रूप से स्वीकार नहीं किया जा रहा है। इसका ताजा उदाहरण जिला हमीरपुर के बड़सर उपमंडल से सामने आया है, जहां प्रेम विवाह करने वाले युवक के परिवार को सामाजिक बहिष्कार, धमकियों और असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है।
मामला बड़सर क्षेत्र के करेर गांव का है। यहां करीब 30 वर्षीय युवक और 23 वर्षीय युवती, जो दोनों बालिग हैं और लंबे समय से प्रेम संबंध में थे, ने अक्तूबर माह में नई दिल्ली में कोर्ट मैरिज कर ली।
बताया जा रहा है कि युवती के परिजन इस विवाह के पक्ष में नहीं थे। हालांकि युवती के बालिग होने के चलते वे उस समय इस विवाह को रोक नहीं सके, लेकिन बाद में हालात ऐसे बने कि युवक के परिवार पर दबाव और परेशानियां बढ़ने लगीं।
युवक के पिता देशराज ने बताया कि वह पिछले करीब 32 से 33 वर्षों से अपनी पत्नी के साथ करेर गांव में ही रह रहे हैं। इसका कारण यह है कि उनकी सास की देखभाल करने वाला कोई अन्य सदस्य नहीं था।
देशराज के अनुसार, एक दिसंबर को गांव में आयोजित एक शादी समारोह के दौरान उनके घर को आग लगाने की कोशिश की गई। आरोप है कि इसी दौरान लड़की पक्ष के कुछ लोगों ने उनकी पत्नी के साथ मारपीट भी की।
इस पूरी घटना को लेकर देशराज ने दो दिसंबर को भोटा पुलिस चौकी में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। देशराज का कहना है कि इसके बावजूद उनका डर खत्म नहीं हुआ है। उन्हें आशंका है कि लड़की पक्ष के लोग उन्हें या उनके परिवार को किसी भी तरह का नुकसान पहुंचा सकते हैं।
देशराज ने बताया कि उनका बेटा और बहू फिलहाल दिल्ली में रह रहे हैं। परिवार को डर है कि यदि वे गांव लौटे तो उनके साथ भी अनहोनी हो सकती है। इसी कारण वे दोनों दिल्ली में ही रह रहे हैं।
देशराज स्वयं फरीदाबाद में हलवाई का काम करते हैं, जबकि गांव में उनकी पत्नी और बुजुर्ग सास अकेली रह रही हैं, जो उनके लिए लगातार चिंता का कारण बना हुआ है।
पीड़ित परिवार ने पुलिस प्रशासन और कानून से सुरक्षा की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि उन्होंने कोई गैरकानूनी कार्य नहीं किया है और उनके बेटे ने कानून के दायरे में रहते हुए विवाह किया है, फिर भी उन्हें समाज के एक वर्ग की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।
कानूनविदों के अनुसार, अगर युवक और युवती ने हिंदू मैरिज एक्ट के तहत विवाह किया है और उन्हें या उनके परिजनों को किसी भी तरह का खतरा या सामाजिक दबाव झेलना पड़ रहा है, तो ऐसी स्थिति में उन्हें पुलिस सुरक्षा दिए जाने का प्रावधान है। माननीय उच्च न्यायालयों ने कई मामलों में यह स्पष्ट किया है कि बालिग जोड़ा अपनी मर्जी से विवाह कर सकता है और उन्हें सुरक्षा देना राज्य की जिम्मेदारी है।
हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के अनुसार, अगर युवक और युवती बालिग हैं, तो वे अपनी इच्छा से विवाह कर सकते हैं। हालांकि, इसमें यह शर्त भी लागू होती है कि-
वहीं, यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या समाज वास्तव में आधुनिक सोच को अपनाने के लिए तैयार है, या फिर प्रेम विवाह आज भी कई परिवारों के लिए डर और संघर्ष का कारण बना रहेगा।