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May 21, 2025

विमल नेगी केस में बड़ा खुलासा: ASI ने छुपाई पेनड्राइव, सबूतों को मिटाने की कोशिश!

एसआईटी की जांच पर भी उठे सवाल

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himachal news

शिमला। हिमाचल प्रदेश के चर्चित चीफ इंजीनियर विमल नेगी मौत मामले में बुधवार को हिमाचल हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। जैसे-जैसे सुनवाई आगे बढ़ी, वैसे-वैसे इस रहस्यमयी मौत से जुड़े गंभीर तथ्य और पुलिस की भूमिका पर सवाल सामने आते गए। अदालत में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए, जिसने राज्य की जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिन्ह लगा दिए हैं।हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने विमल नेगी केस में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। 

पेनड्राइव को किया फॉर्मेट

बिलासपुर पुलिस, जिसने मामले की शुरुआती जांच की थी उस पर सबसे बड़े आरोप लगे। राज्य सरकार की ओर से अदालत में माना गया कि बिलासपुर पुलिस ने जांच के दौरान सबूतों के साथ छेड़छाड़ की। विशेष रूप से, एक अहम पेनड्राइव को छिपाने और फॉर्मेट करने की बात सामने आई, जो मृतक इंजीनियर के पास थी।

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इस कार्रवाई को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी आवाज उठाई और पूछा कि आखिर पेनड्राइव को रिकॉर्ड का हिस्सा क्यों नहीं बनाया गया और उसे बिना जांच के फॉर्मेट करके फॉरेंसिक लैब को क्यों भेजा गया

एसआईटी की जांच पर भी सवाल

दूसरी ओर, याचिकाकर्ता की ओर से दायर की गई याचिका में शिमला पुलिस द्वारा गठित एसआईटी की जांच पर भी सवाल उठाए गए। डीजीपी द्वारा दायर हलफनामे के आधार पर कहा गया कि मामले में स्पष्टता लाने के बजाय जांच में भटकाव आया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकार से पूछा कि अगर मामला इतना संवेदनशील और उलझा हुआ है, तो सीबीआई से जांच कराने में आपत्ति क्या है?

हर पक्ष को सुनना न्याय की प्रक्रिया का हिस्सा

सरकार की ओर से पेश हुए एडवोकेट जनरल अनूप रत्न ने बताया कि इस मामले में डीजीपी ने 15 मार्च को पहली एसआईटी गठित की थी। लेकिन इसके कुछ दिन बाद, 18 मार्च को बिलासपुर में तैनात एएसआई पंकज ने वह पेनड्राइव छिपा दी, जो संभवतः मामले का महत्वपूर्ण सुराग हो सकती थी। सरकार ने यह भी कहा कि जांच अभी अधूरी है और उसे पूरा करने के लिए और समय की आवश्यकता है।

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उधर, अदालत में एसपी शिमला संजीव गांधी ने भी अपनी बात रखने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। याचिकाकर्ता के वकील ने इसका विरोध किया, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि हर पक्ष को सुनना न्याय की प्रक्रिया का हिस्सा है।

100 से अधिक पृष्ठों की है रिपोर्ट

सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट हुआ कि राज्य सरकार ने इस मामले को जांच के लिए वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओंकार शर्मा को सौंपा था, जिन्होंने अब कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। यह रिपोर्ट 100 से अधिक पृष्ठों की है और इसमें कई महत्वपूर्ण पहलुओं का खुलासा होने की उम्मीद है। बुधवार को यह रिपोर्ट मृतक के परिजनों को भी सौंपी गई। मृतक इंजीनियर विमल नेगी के परिवार ने इस मामले में बिजली विभाग के तत्कालीन डायरेक्टर देश राज और तत्कालीन एमडी मीणा पर मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए हैं। दोनों आरोपी फिलहाल अग्रिम जमानत पर चल रहे हैं।

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हाईकोर्ट ने की तीखी टिप्पणी

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत का उद्देश्य पुलिस का मनोबल बढ़ाना नहीं, बल्कि न्याय सुनिश्चित करना है। अदालत की यह टिप्पणी सरकार के उस तर्क पर आई, जिसमें कहा गया था कि सीबीआई जांच से पुलिस का मनोबल गिर सकता है। इस पूरे मामले की अगली सुनवाई अब हाईकोर्ट के निर्देशों के अनुसार होगी, लेकिन इतना तय है कि यह मामला अब केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि राज्य की जांच व्यवस्था, पारदर्शिता और न्यायिक प्रक्रिया की कसौटी बन गया है।

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