#राजनीति
May 21, 2025
हिमाचल की पैरवी के लिए दिल्ली रवाना होंगे CM सुक्खू, 2 दिन तक करेंगे इन मंत्रियों से मुलाकात
23-24 मई को प्रस्तावित हैं कई अहम बैठकें
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शिमला। CM सुखविंदर सिंह सुक्खू आज दिल्ली रवाना होंगे, जहां वह हिमाचल प्रदेश के आर्थिक, कृषि और विकास से जुड़े लंबित मामलों को भारत सरकार के समक्ष मजबूती से रखेंगे। दोपहर 2:30 बजे वह शिमला से हेलिकॉप्टर के माध्यम से दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे। उनके साथ राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी होंगे जो विभिन्न मंत्रालयों से जुड़ी तकनीकी तैयारियों को अंतिम रूप देंगे।
CM सुक्खू की 23 मई को 16वें वित्त आयोग के साथ अहम बैठक निर्धारित है। इसमें हिमाचल की रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट (राजस्व घाटा अनुदान) बढ़ाने और टैक्स में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग को लेकर एडिशनल मेमोरेंडम सौंपा जाएगा।
यह पहला अवसर है जब राज्य सरकार की ओर से पहले दिए गए दस्तावेज के बाद एक अतिरिक्त मेमोरेंडम प्रस्तुत किया जा रहा है। इस दस्तावेज की तैयारी में राज्य के वन क्षेत्र (फॉरेस्ट कवर) की स्टडी और GST लागू होने के बाद हुए घाटे का मूल्यांकन भी शामिल किया गया है।
24 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें मुख्यमंत्री हिमाचल से जुड़े कई ज्वलंत मुद्दों को उठाएंगे। इनमें तुर्किए से आने वाले सेब पर रोक, हिमाचल के बागवानों की आय में गिरावट, और प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष सहायता शामिल हैं।
मुख्यमंत्री केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरान राज्य की ऋण सीमा (Loan Limit) बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी, ताकि सरकार विकास परियोजनाओं को समय पर आगे बढ़ा सके।
दिल्ली दौरे में मुख्यमंत्री की केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकातें तय मानी जा रही हैं। इन मंत्रालयों में हिमाचल के ऊर्जा, रेलवे, सड़क व राजमार्ग, पर्यावरण और शहरी विकास से जुड़े कई लंबित मामलों को उठाया जाएगा। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री की 5 से 6 केंद्रीय मंत्रियों से वन-टू-वन बैठकें हो सकती हैं।
मुख्यमंत्री का यह दौरा केवल आर्थिक पैरवी के लिहाज़ से ही नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संकेत भी है कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार केंद्र से मजबूत संवाद बनाकर राज्य हितों को लेकर गंभीर है। राज्य के अधिकारी वर्ग भी इस दौरे को अहम मान रहा है क्योंकि इससे आने वाले महीनों में केंद्र से मिलने वाली वित्तीय सहायता और नीति-निर्धारण में हिमाचल की हिस्सेदारी पर असर पड़ सकता है।