#अपराध

July 11, 2025

हिमाचल : पिछले 6 महीने में 30 लोगों ने खुद खत्म किया जीवन, ज्यादातर युवाओं ने उठाया गलत कदम

शरीर सक्रिय रहेगा तो मस्तिष्क भी तनाव से मुक्त रहेगा

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Shimla News

शिमला। हिमाचल प्रदेश में आए दिन आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं। आत्महत्या के मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं। हिमाचल की राजधानी शिमला में ही पिछले 6 महीनों में 30 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली है। आत्महत्या करने वालों में युवाओं के आंकड़े देख आप चौंक जाएंगे।

30 लोगों ने की आत्महत्या

आत्महत्या से जान देने वाले लोगों में महिलाओं की संख्या पुरुषों से कम है। इनमें-

  • फंदा लगाकर- 21
  • जहर खाकर- 7
  • नदी में कूदकर- 2 लोगों ने जान दी है।

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पुरुषों की संख्या ज्यादा

फंदा लगाकर आत्महत्या करने वाले 21 लोगों में 18 पुरुष और 3 महिलाएं शामिल हैं। जबकि, जहर निगलकर सुसाइड करने वाले सभी पुरुष हैं। इन घटनाओं के बाद पूरी राजधानी में माहौल चिंताजनक और अफरा-तफरी भरा है।

83 लोगों ने की थी आत्महत्या

जानकारी देते हुए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस साल आत्महत्या करने वाले लोगों की संख्या कम है। पिछले साल राजधानी में 83 लोगों ने आत्महत्या की थी- जिनमें 63 महिलाएं और 20 पुरुष शामिल थे।

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51 ने लगाया फंदा, 31 ने निगला जहर

  • आत्महत्या करने वाले इन 83 लोगों में-
  • फंदा लगाकर- 51 (37 पुरुष और 14 महिलाएं)
  • जहर निगलकर- 31 (25 पुरुष और 6 महिलएं)
  • नदीं मे कूदकर - एक महिला ने अपनी जान दे दी।

कई युवाओं ने की आत्महत्या

आत्महत्या करने वाले इन मामलो में युवाओं की संख्या ज्यादा है। आत्महत्या करने वाले ज्यादातर लोगों की उम्र 20 से 45 साल के बीच है। ज्यादातर युवाओं ने मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या जैसा खौफनाक कदम उठाया है। कुछ ने परीक्षा में फेल होने के कारण भी सुसाइड किया है।

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तनाव के कैसे रहें दूर?

  • दिन की शुरुआत शांतिपूर्वक करें-

सुबह उठते ही मोबाइल न देखें। कुछ देर गहरी सांस लें, हल्की स्ट्रेचिंग करें या 5 मिनट ध्यान करें। इससे दिमाग को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

  • व्यायाम या पैदल चलना रोज़ का हिस्सा बनाएं-

शरीर सक्रिय रहेगा तो मस्तिष्क भी तनाव से मुक्त रहेगा। योग, दौड़, साइकलिंग या रोज़ 30 मिनट की सैर भी काफी है।

  • नींद को नजरअंदाज न करें-

कम नींद तनाव की सबसे बड़ी वजहों में से एक है। रोज़ कम से कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें।

  • 'ना' कहना सीखें

हर बात या ज़िम्मेदारी को स्वीकार करना तनाव बढ़ाता है। जहां जरूरी लगे, विनम्रता से इंकार करें।

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  • हर दिन थोड़ा समय खुद के लिए निकालें

जो काम आपको अच्छा लगता है-जैसे पढ़ना, म्यूज़िक सुनना, गार्डनिंग, पेंटिंग उसे हर दिन थोड़ा समय दें।

  • सकारात्मक सोच रखें

नकारात्मक विचारों को पकड़ें और पलटकर देखें कि क्या उसमें कुछ सकारात्मक देखने की गुंजाइश है। हर परिस्थिति को चुनौती नहीं, एक सीख की तरह लें।

  • तनाव को शब्दों में ढालें

तनाव अंदर दबाने से और बढ़ता है। किसी विश्वासपात्र दोस्त या परिवारजन से बात करें या डायरी में अपनी बातें लिखें।

  • सोशल मीडिया से थोड़ा ब्रेक लें

हर समय सोशल मीडिया पर रहना आपके मन की शांति चुरा सकता है। रोज़ कुछ घंटों का डिजिटल डिटॉक्स करें।

  • संतुलित आहार लें

तेल, मसाले, कैफीन और चीनी से भरपूर चीजें मन को बेचैन करती हैं। इसके बजाय फल, सब्जियां, मेवा और पानी ज़्यादा लें।

  • जरूरत हो तो सलाह जरूर लें

अगर तनाव लगातार बना रहे या नींद, भूख और कामकाज पर असर पड़ रहा हो, तो काउंसलर या डॉक्टर से संपर्क करने में संकोच न करें।

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