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November 15, 2025

हिमाचल : जातिवाद मामले में कोर्ट का सख्त रुख- महिला को नहीं मिली जमानत, जानें

आरोपी पुष्पा देवी की जमानत याचिका खारिज, अदालत ने बताया गंभीर अपराध

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शिमलाहिमाचल प्रदेश के शिमला जिला स्थित रोहड़ू क्षेत्र में पिछले महीने एक दर्दनाक घटना सामने आई थी। जिसमें एक 12 वर्षीय बच्चे की जातिवाद के नाम पर सांसे छिन गई। इस मामले में पुलिस द्वारा एक महिला को अरेस्ट किया गया है। महिला द्वारा कोर्ट में जमानत को लेकर गुहार लगाई थी, जिसे कोर्ट ने सिरे से नकार दिया है।

अदालत ने नहीं दी जमानत

चिड़गांव क्षेत्र में नाबालिग बच्चे की आत्महत्या के संवेदनशील मामले में आरोपी पुष्पा देवी को राहत नहीं मिली है। विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह गंभीर मामला है और उपलब्ध साक्ष्य जमानत देने की अनुमति नहीं देते। अदालत ने साफ किया कि आरोपी को जमानत मिलने से वह साक्ष्यों और गवाहों को प्रभावित कर सकती है, इसलिए फिलहाल रिहाई संभव नहीं है।

 

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क्या था मामला

बताते चलें कि, रोहड़ू के चिड़गांव क्षेत्र में नाबालिग बच्चे की आत्महत्या का यह एक संवेदनशील मामला है। जिसने पूरे हिमाचल प्रदेश को हिला कर रख दिया था। 20 सितंबर, 2025 को ये मामला सामने आया, जहां एक बच्चे ने कथित उत्पीड़न और डर के चलते जहर खा लिया था, जिसके बाद उसकी जान चली गई।

बच्चे को बनाया था बंधक

आरोप है कि पुष्पा देवी नामक महिला ने बच्चे को अपनी दुकान से सामान चोरी करने के शक में पकड़ा और उसके बंधक बना दियाय़ जिसके बाद उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित किया। बच्चे की मां के अनुसार, आरोपी ने गुस्से में आकर बच्चे को गोशाला में बंद कर दिया और बाहर निकालने के बदले में बकरे की मांग रखी।

 

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डर के मारे बच्चे ने खा लिया जहर

इस घटना के बाद बच्चा छुपते-छुपाते गोशाला से बाहर निकलता। मगर महिला द्वारा किए प्रताड़ना के कारण बच्चा सहम गया और उसने डिप्रेशन में आकर जहरीला पदार्थ खा लिया। दिसके बाद उसकी जान चली गई।

 

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महिला पर दर्ज है ये मामला

मामले ने और गंभीर मोड़ तब ले लिया जब परिवार ने आरोप लगाया कि बच्चे को उसकी जाति के आधार पर अपमानित किया गया। इसी वजह से आरोपी के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी आरोप जोड़े गए हैं। अदालत में पेश किए गए कॉल डिटेल रिकॉर्ड, वीडियो साक्षात्कार और फोरेंसिक रिपोर्ट जैसे दस्तावेजों ने मामले को और मजबूत बना दिया है। अदालत का कहना है कि इतने गंभीर और संवेदनशील मामले में जमानत देना न्यायहित में नहीं होगा।

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