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November 15, 2025

सुक्खू सरकार की एक और गारंटी फेल- पक्की नौकरी की जगह आउटसोर्स भर्ती, सैलरी मात्र 10 हजार

10,000 रुपये मानदेय पर आउटसोर्स कर्मचारी रखे जाएंगे

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himachal electricity board

शिमला हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने चुनावी वादों में युवाओं को 58 साल की पक्की सरकारी नौकरी का भरोसा दिया था, लेकिन जमीनी हकीकत इसके उलट दिख रही है। प्रदेश में लगातार रोगी मित्र, वन मित्र और अब बिजली उपभोक्ता मित्र जैसी आउटसोर्स भर्तियां बढ़ रही हैं। इसी क्रम में बिजली विभाग में 1602 आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती को हरी झंडी दे दी गई है।

रिक्त पदों पर जल्द होगी भर्ती

हिमाचल प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने HPSEBL के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए कहा कि उपभोक्ता सेवाओं को दुरुस्त रखने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तुरंत जरूरत है। आयोग की ओर से सचिव सुनील वर्मा ने संबंधित विभागों को पत्र जारी कर दिया है।

 

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3 हजार टी- मेट के पद खाली, बिजली बोर्ड का स्टाफ दबाव में

बिजली बोर्ड ने आयोग को बताया कि विभाग में विभिन्न कैडर में रिक्तियां तेजी से बढ़ रही हैं। सिर्फ टी-मेट के करीब 3,000 पद खाली पड़े हैं, जिसके चलते फील्ड लेवल पर काम बाधित हो रहा है। HPSEBL ने कहा कि अनुकूलन प्रक्रिया (रिव्यू और एडजस्टमेंट) जारी है, लेकिन मौजूदा कार्यभार इतना बढ़ गया है कि उपभोक्ता सेवाओं की गुणवत्ता गिरने लगी है। ऐसे में फिलहाल आउटसोर्सिंग ही व्यावहारिक विकल्प है।

मिलेगी सिर्फ 10,000 रुपये की सैलरी

आयोग ने 1602 बिजली उपभोक्ता मित्र को आउटसोर्स आधार पर रखने को उपयुक्त बताते हुए इनका मानदेय ₹10,000 प्रति माह तय करने की मंजूरी दी है। इसके लिए आवश्यक प्रशासनिक अनुमतियां और बैक-टू-बैक निर्देश संबंधित अधिकारियों को भेज दिए गए हैं। आयोग ने कहा कि यह कदम बिजली सेवाओं में सुधार, फील्ड सपोर्ट बढ़ाने और उपभोक्ता शिकायतों के समाधान को तेज करने के लिए उठाया गया है।

 

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विपक्ष और युवाओं के बीच उठे सवाल

आउटसोर्स भर्ती की मंजूरी के बाद चर्चा एक बार फिर सियासी मोड़ ले चुकी है। चुनाव के समय 58 साल की पक्की नौकरी की बात और नौकरी मिलने पर सिर्फ 10,000 रुपये की आउटसोर्स पोस्ट दोनों बातों को लेकर सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। युवाओं में नाराजगी है कि स्थायी पद खाली हैं, लेकिन भर्ती आउटसोर्स के जरिए की जा रही है। प्रदेश में इससे पहले भी रोगी मित्र, वन मित्र, पुलिस मित्र जैसी आउटसोर्स भर्तियां हो चुकी हैं, जबकि स्थायी पद लंबित पड़े हैं

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