#अपराध

August 31, 2025

हिमाचल: कार में मिली 27 वर्षीय युवक की देह, परिवार ने खो दिया जवान बेटा; पसरा मातम

नशे का आदी था युवक, पुलिस कर रही जांच

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पांवटा साहिब (सिरमौर)। हिमाचल प्रदेश की शांत वादियों में अब नशे की काली परछाइयां गहराती जा रही हैं। पहाड़ी राज्य में नशे का जहर धीरे.धीरे समाज की जड़ों को खोखला कर रहा है और इसकी सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं युवा। सिरमौर जिला के पांवटा साहिब उपमंडल से सामने आया एक और मामला इस कड़वी सच्चाई की ओर इशारा करता है।

27 वर्षीय युवक की संदिग्ध मौत

शहर के एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई है। मृतक की पहचान 27 वर्षीय मयंक के रूप में हुई है, जो पांवटा साहिब का ही निवासी था। उसका शव एक कार से बरामद किया गया है। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि युवक लंबे समय से नशे का आदी था और कई बार नशा मुक्ति केंद्र में भी भर्ती हो चुका था।

 

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नशा माना जा रहा मौत का कारण

पुलिस ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि मयंक की मौत का कारण अत्यधिक नशा माना जा रहा है, हालांकि अंतिम निर्णय पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होगा। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर सिविल अस्पताल भेजा। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया है। मामले की जांच जारी है और पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।

नशे में डूबती युवा पीढ़ी

यह घटना कोई अकेला मामला नहीं है। बीते कुछ वर्षों में हिमाचल प्रदेश खासकर सीमावर्ती क्षेत्रों में नशे की लत तेजी से फैल रही है। स्कूल-कॉलेज के छात्र से लेकर कामकाजी युवक तक इस दलदल में फंसते जा रहे हैं। नशे की वजह से कई परिवार बर्बाद हो चुके हैं और युवा अपनी जिंदगी समय से पहले ही गंवा रहे हैं।

 

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सिरमौर, कांगड़ा, मंडी, शिमला और कुल्लू जैसे जिलों में नशे से जुड़े मामले लगातार बढ़ रहे हैं। खासकर चिट्टा (सिंथेटिक ड्रग्स), हेरोइन, अफीम और नशे की गोलियां युवाओं में तेजी से फैल रही हैं। राज्य में चल रहे कई नशा मुक्ति केंद्र इस बात के गवाह हैं कि समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है।

 

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सरकार और समाज की जिम्मेदारी

हालांकि प्रशासन की ओर से नशे के खिलाफ अभियान चलाए जा रहे हैं, परंतु जब तक समाज और परिवार इस दिशा में जागरूक नहीं होंगे, तब तक हालात नहीं बदल सकते। युवाओं को खेल, रोजगार और मानसिक स्वास्थ्य से जोड़ने की ज़रूरत है ताकि वे नशे से दूर रह सकें। इस दुखद घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हम अपनी युवा पीढ़ी को बचाने के लिए पर्याप्त प्रयास कर रहे हैं? अगर नहीं, तो समय आ गया है कि सरकार, समाज और परिजन मिलकर इस गंभीर खतरे के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों।

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