#अपराध
December 12, 2025
युग ह*त्याकांड: उम्रकैद नहीं - फां*सी की हो सजा... न्याय की उम्मीद में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पीड़ित परिवार
युग ह*त्याकांड में उम्रकैद के फैसले से असंतुष्ट पिता पहुंचे सुप्रीम कोर्ट
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला का बहुचर्चित और दर्दनाक युग हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में है। 11 वर्ष बीत जाने के बाद भी पीड़ित परिवार का दर्द कम नहीं हुआ है। उनके जख्म हर उस फैसले पर हरे हो जाते हैं, जो उनके चार साल के मासूम बेटे पर हुए जुल्म को कमतर साबित करते हैं। हिमाचल हाईकोर्ट के फैसले से असंतुष्ट युग का परिवार अब न्याय की उम्मीद के लिए सुप्रीम कोर्ट पहु्रंच गया है।
मासूम बेटे की बेरहमी से की गई हत्या, और उसके बाद सालों बाद उचित न्याय ना मिलने की पीड़ा ने परिवार को लगभग तोड़ दिया है। अब न्याय की उम्मीद के साथ युग के पिता विनोद गुप्ता ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। उन्होंने हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा दोषियों की सजा कम करने और एक आरोपी को बरी करने के फैसले को चुनौती देते हुए एसएलपी दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और जल्द ही सुनवाई की संभावना है।
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23 सितंबर को हिमाचल हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बदलते हुए जहां एक आरोपी तेजिंद्र पाल को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया, वहीं दो अन्य दोषियों विक्रांत बख्शी और चंद्र शर्मा की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। लेकिन युग के पिता इस फैसले से टूट गए। उनकी आवाज़ में अब भी वह दर्द है, जो 11 साल पहले हुआ था।

अपना दर्द बयां करते हुए युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि जिन लोगों ने मेरे बच्चे को यातनाएं दीं, उसे जिंदा पानी के टैंक में फेंक दिया३ उन्हें उम्रकैद क्यों। इतने जघन्य अपराध का यही न्याय है। मेरा बच्चा घंटों तड़पता रहा होगा३ और अदालत उन्हें उम्रकैद दे रही है।
14 जून 2014 वह दिन जब रामबाजार के विनोद गुप्ता के घर से चार साल का मासूम युग अचानक गायब हो गया था। जांच में सामने आया कि तीनों आरोपियों ने बच्चे का अपहरण किया, उसे शिमला के एक किराए के कमरे में रखकर यातनाएं दीं। मासूम की चीखें कमरे की दीवारों में कैद होकर रह गईं। एक सप्ताह तक तड़पाने के बाद आरोपियों ने उसे जीवित ही नगर निगम के भराड़ी स्थित पेयजल टैंक में फेंक दिया।
22 अगस्त 2016 को विक्रांत बख्शी की निशानदेही पर सीआईडी ने टैंक के अंदर और बाहर से युग की हड्डियां बरामद कीं। इन सबूतों के बाद जिला अदालत ने 5 सितंबर 2018 को तीनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इस सजा को बदल दिया। हिमाचल हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान एक आरोपी को सबूतों के अभाव में वरी कर दिया किया जबकि दो की फांसी उम्रकैद में तब्दील कर दी। हाईकोर्ट के इस फैसले ने युग के परिवार के दिल को फिर से छलनी कर दिया।
युग के पिता विनोद गुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले ने मुझे तोड़ दिया। मेरा बेटा जिस दर्द से गुज़रा, उसे शब्दों में नहीं बताया जा सकता। तीनों दोषियों ने बिना किसी दया के मेरे बच्चे को मार दिया। मुझे विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट हमें न्याय देगा। मैं चाहता हूं कि तीनों को फांसी मिले३ वही असली सजा है। उन्होंने यह भी कहा कि सीआईडी ने इस केस में बहुत मेहनत की, लेकिन हाईकोर्ट के निर्णय को स्वीकार करना उनके लिए असंभव था।
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युग हत्याकांड आज भी लोगों के दिल में एक टीस है। यह सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, पूरे हिमाचल की पीड़ा है। अब सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट की ओर हैं, जहां युग के पिता ने अंतिम उम्मीद लगा रखी है। उनकी यही फरियाद है कि मेरे बेटे को न्याय दिलाइए, जिन्होंने मेरी दुनिया उजाड़ी, वे मौत से कम सजा के हकदार नहीं।