#अपराध
July 20, 2025
हिमाचल में बन रही शराब की तस्करी : लोहे के पाइप में छिपाकर पहुंचाई लखनऊ, 1 करोड़ है कीमत
हर राज्य में बदलते थे नंबर प्लेट
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शिमला। लखनऊ पुलिस ने शनिवार को शराब तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है। गोसाईगंज थाना क्षेत्र में पुलिस ने एक डीसीएम वाहन से 4961 लीटर (14,484 बोतल) अवैध अंग्रेजी शराब बरामद की है, जिसे लोहे के पाइपों के नीचे छिपाकर पंजाब से बिहार ले जाया जा रहा था। ये शराब हिमाचल में बन रही थी और अवैध तरह से बिहार बेची जा रही थी।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान दिनेश परमार (ड्राइवर) और जगदीश (क्लीनर) के रूप में हुई है, दोनों मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले के निवासी हैं। पुलिस के अनुसार, यह शराब हिमाचल प्रदेश में बनी थी और केवल चंडीगढ़ में बिक्री के लिए अधिकृत थी।
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गाड़ी की तलाशी के दौरान पुलिस को शक हुआ, क्योंकि वाहन में केवल पाइप लदे होने की बात कही जा रही थी। जांच करने पर 20 फीट लंबाई के 120 बड़े पाइपों के नीचे 1.5 फीट लंबे वेल्डेड पाइप में शराब की बोतलें बरामद हुईं। तस्करों ने 10 टन लोहे के सीमलेस पाइप की फर्जी बिलिंग दिखाई, जो दिल्ली के R.K. Enterprises से असम के Bipin Enterprises के नाम पर बनाई गई थी।
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पकड़े गए तस्करों ने बताया कि वे हर राज्य की सीमा में प्रवेश करते ही डीसीएम की नंबर प्लेट बदल देते थे और उसके अनुसार फर्जी आरसी भी तैयार रखते थे। यह गाड़ी शारदानगर, लखनऊ निवासी विनय मिश्रा की है, जिसे पंजाब निवासी रोहतास ने 40 हजार रुपये प्रति माह पर किराए पर लिया था। लेकिन बाद में गाड़ी वापस नहीं की गई और IGRS पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई गई थी।
पुलिस को यह भी जानकारी मिली है कि तस्कर और खरीदार के बीच संपर्क के लिए Signal मोबाइल ऐप का इस्तेमाल किया जा रहा था। यह ऐप एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होता है और यूजर डेटा को क्लाउड पर सेव नहीं करता, जिससे ट्रैकिंग मुश्किल हो जाती है। तस्करों ने बताया कि बिहार में शराबबंदी के कारण शराब वहां तीन गुना रेट पर बेची जाती है। इस खेप की काला बाजारी कीमत करीब 1 करोड़ रुपये आंकी गई है।
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यह डीसीएम वाहन चंडीगढ़ से अंबाला, हाथरस, आगरा एक्सप्रेसवे होते हुए लखनऊ पहुंचा, जहां से इसे पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के जरिए बिहार भेजने की योजना थी। तस्कर रास्ते में अलग-अलग ढाबों पर रुककर Signal ऐप से संपर्क में रहते थे और लोकेशन शेयर करते थे।
डीसीपी निपुण अग्रवाल ने बताया कि मामले में गहन जांच चल रही है। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह नेटवर्क कितने राज्यों में फैला है और इसके पीछे मुख्य साजिशकर्ता कौन हैं।