#अपराध
August 9, 2025
हिमाचल: रात के अंधेरे में नशा सप्लाई करने निकले थे दो युवक, बड़ी खेप के साथ धरे
तलाशी के दौरान युवकों की कार से मिली चरस की बड़ी खेप
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पालमपुर (कांगड़ा)। हिमाचल प्रदेश में बढ़ते नशे के कारोबार ने लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। पुलिस लगातर नशा तस्करों पर बड़ी कार्रवाई भी कर रही है। इसी कड़ी में पुलिस ने हिमाचल के कांगड़ा जिला में दो नशा तस्करों से चरस की बड़ी खेप बरामद की है। पुलिस ने दोनों तस्करों को हिरासत में लेकर आगामी जांच शुरू कर दी है।
दरअसल जिला कांगड़ा में नशे के बढ़ते प्रकोप के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत पुलिस के हाथ बड़ी सफलता लगी है। पालमपुर पुलिस ने गश्त के दौरान दो तस्करों को दबोच कर उनके कब्जे से 4 किलो 568 ग्राम चरस बरामद की है। यह गिरफ्तारी पालमपुर सब्जी मंडी के समीप उस समय हुई, जब संदिग्ध वाहन (एचपी-65ए-1934) बैजनाथ की ओर से आ रहा था।
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पुलिस की टीम ने जब उक्त वाहन को जांच के लिए रोका तो उसमें सवार दो व्यक्तियों की तलाशी के दौरान भारी मात्रा में चरस बरामद हुई। आरोपियों की पहचान रफीक पुत्र नूर मुहम्मद, निवासी गांव म्ग्याली तहसील पधर जिला मंडी तथा राजेश कुमार पुत्र प्रेम सिंह निवासी गांव रोपा बल्ह डाकघर व तहसील पधर जिला मंडी के रूप में हुई है। दोनों को मौके पर गिरफ्तार कर लिया गया और उनके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
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एसपी कांगड़ा अशोक रत्न ने जानकारी देते हुए बताया कि आरोपियों को शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया] जहां से उन्हें पांच दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है कि आरोपी यह चरस कहां से ला रहे थे और इसका आगे नेटवर्क कहां तक फैला है।
हिमाचल प्रदेश विशेष रूप से कांगड़ा और मंडी जैसे जिलों में नशे का खतरा दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। यह केवल युवाओं को ही नहीं] बल्कि पूरे समाज को खोखला कर रहा है। चरस] चिट्टा और अन्य नशीले पदार्थों की तस्करी अब एक सुनियोजित रैकेट का रूप ले चुकी है] जिसे जड़ से खत्म करना पुलिस और समाज दोनों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है।
एसपी अशोक रत्न ने कहा कि जिला पुलिस नशे के खिलाफ मुहिम को आगे भी पूरी सख्ती से जारी रखेगी। उन्होंने आम नागरिकों से अपील की कि वे अपने क्षेत्र में किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत नजदीकी पुलिस थाने को दें। नशे के खिलाफ यह लड़ाई केवल पुलिस की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नशे के खिलाफ केवल कानून का डर ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि समाज को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों की गतिविधियों पर नजर रखें, स्कूलों और कॉलेजों में नशे के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जाएं और स्थानीय समुदाय सतर्कता समिति जैसे कदम उठाकर इस गंभीर समस्या से निपटने में योगदान दें।
इस प्रकार की सफलताएं पुलिस की तत्परता को दर्शाती हैं, परंतु जब तक समाज एकजुट होकर इस बुराई के खिलाफ खड़ा नहीं होगा, तब तक नशे के इस जाल को तोड़ पाना मुश्किल होगा। अब समय आ गया है कि हर नागरिक इस लड़ाई में भागीदार बने और हिमाचल को नशामुक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए।