#अपराध
March 10, 2025
हिमाचल गुड़िया केस: दोषी चिरानी ने उम्रकैद की सजा को दी चुनौती, आज से हियरिंग शुरू
गुड़िया केस: दोषी नीलू चरानी ने उम्रकैद की सजा को दी है चुनौती
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया रेप और मर्डर केस में आज हाईकोर्ट में सुनवाई होगी। मामले में दोषी करार दिए गए अनिल कुमार उर्फ नीलू चरानी ने सीबीआई कोर्ट द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी है। इस अपील पर न्यायाधीश अजय मोहन गोयल और बीसी नेगी की विशेष खंडपीठ सुनवाई करेगी।
दोषी नीलू चरानी की ओर से अदालत में बहस के लिए अतिरिक्त समय मांगा गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने इस अनुरोध को खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह मामला 2021 से लंबित है और आरोपी की सजा निलंबित नहीं की गई है। वर्तमान में दोषी जेल में बंद है, ऐसे में अदालत का दायित्व बनता है कि इस मामले का जल्द निपटारा किया जाए।
इसी के चलते हाईकोर्ट ने फैसला लिया है कि जब तक इस मामले में बहस पूरी नहीं हो जाती, तब तक रोजाना सुनवाई होगी। इसके साथ ही न्यायालय ने चेतावनी दी है कि यदि दोषी पक्ष बार-बार सुनवाई टालने का अनुरोध करता है, तो अदालत कानूनी सहायता से जुड़े किसी एडवोकेट को नियुक्त करने में कोई संकोच नहीं करेगी।
शिमला जिले के जुब्बल-कोटखाई क्षेत्र में 4 जुलाई 2017 को 16 वर्षीय स्कूली छात्रा 'गुड़िया' स्कूल से घर लौटते समय लापता हो गई थी। दो दिन बाद, 6 जुलाई को उसका शव तांदी के जंगल में बरामद हुआ। प्रारंभिक जांच में पुलिस को यह मामला रेप और मर्डर का लगा, जिसके बाद 10 जुलाई को एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया गया। 12 जुलाई को तत्कालीन मुख्यमंत्री के आधिकारिक फेसबुक पेज पर पांच संदिग्ध आरोपियों के फोटो वायरल किए गए। इसके बाद पुलिस ने 12 से 13 जुलाई के बीच आशीष चौहान, राजेंद्र उर्फ राजू, सुभाष बिष्ट, सूरज, लोकजन और दीपक को गिरफ्तार किया।
14 जुलाई को इस मामले की जांच को लेकर जनता में भारी आक्रोश पनपने लगा। प्रदर्शनकारियों ने ठियोग पुलिस थाने पर पथराव किया और कई सरकारी गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया। बढ़ते विरोध को देखते हुए, तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने 14 जुलाई को यह केस सीबीआई को सौंपने की घोषणा की। 18 जुलाई की रात, कोटखाई थाने में पूछताछ के दौरान आरोपियों में से एक, सूरज की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। इस घटना ने पूरे मामले को और ज्यादा उलझा दिया, जिसके बाद 22 जुलाई को सीबीआई ने दिल्ली में गुड़िया केस और सूरज की मौत की जांच के लिए मामला दर्ज किया।
सीबीआई ने मामले की गहराई से जांच शुरू की और पाया कि स्थानीय पुलिस ने महज दो लोगों के बयानों के आधार पर पांच लोगों को आरोपी बना दिया था। जब सीबीआई ने दोबारा जांच की, तो ये गवाह अपने पहले दिए गए बयान से पलट गए।
29 अगस्त 2017 को सीबीआई ने सूरज की हिरासत में मौत के मामले में तत्कालीन IG जहूर एच जैदी, DSP जोशी समेत 8 पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किया। बाद में 16 नवंबर को शिमला के तत्कालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी को भी गिरफ्तार किया गया। 27 जनवरी 2025 को सीबीआई कोर्ट ने IG जहूर एच जैदी और 8 अन्य पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, क्योंकि उनकी लापरवाही और गलत जांच के कारण निर्दोष लोगों को फंसाया गया और हिरासत में सूरज की मौत हुई।
13 अप्रैल 2018 को सीबीआई ने इस केस में असली आरोपी नीलू चरानी को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि नीलू एक आदतन अपराधी था, जिसके खिलाफ पहले भी कई आपराधिक मामले दर्ज थे। सीबीआई ने अदालत में पेश की गई चार्जशीट में बताया कि 4 जुलाई 2017 को नीलू ने गुड़िया को अपनी हवस का शिकार बनाया और फिर गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
चार्जशीट में यह भी दर्ज किया गया कि नीलू चरानी के खिलाफ 2015 में सिरमौर जिले के सराहां पुलिस थाने में धारा 307 (हत्या का प्रयास), 354 (छेड़छाड़), 326 (गंभीर चोट पहुंचाने), 323 और 324 के तहत मामला दर्ज हो चुका था। 18 जून 2021 को सीबीआई कोर्ट ने नीलू चरानी को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई। लेकिन दोषी ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दे रखी है, जिस पर अब सुनवाई शुरू हो रही है।
अब सबकी नजरें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं। यदि दोषी की अपील खारिज होती है, तो उसे उम्रकैद की सजा भुगतनी पड़ेगी। वहीं, यदि अदालत कोई नई जांच के आदेश देती है, तो इस मामले में एक नया मोड़ आ सकता है। आने वाले दिनों में यह केस एक बार फिर चर्चा का विषय बनेगा और देखना होगा कि हाईकोर्ट इस पर क्या निर्णय सुनाती है।