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March 11, 2025

हिमाचल गुड़िया केस: कोर्ट में चरानी पक्ष ने CBI के साक्ष्यों पर उठाए सवाल, आज फिर होगी सुनवाई

नीलू ने हाईकोर्ट में दी सजा के खिलाफ चुनौती, सबूतों में छेड़छाड़ का लगाया आरोप

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शिमला: हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित गुड़िया दुष्कर्म और हत्या मामले में दोषी करार दिए गए नीलू चिरानी ने शिमला जिला अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान, दोषी पक्ष के वकील ने न्यायालय में दलील दी कि इस मामले में पेश किए गए सबूतों और नमूनों के साथ छेड़छाड़ हुई है।

हाईकोर्ट ने मांगी दोषी के रिकॉर्ड की जानकारी

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल और बिपिन चंद्र नेगी की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कई अहम सवाल उठाए। उन्होंने अभियोजन पक्ष से पूछा कि ऐसा क्या कारण है, जिससे दोषी को संदेह का लाभ दिया जा सकता है? साथ ही, अदालत ने नीलू चिरानी के पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी भी मांगी।

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पूर्व में भी दोषी रह चुका है नीलू

दोषी पक्ष के वकील ने अदालत को जानकारी दी कि नीलू चिरानी को सिरमौर जिला अदालत ने पहले भी हत्या के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने उसकी सजा को घटाकर 10 साल कर दिया था।

सीबीआई जांच पर उठे सवाल

वकील ने दलील दी कि सीबीआई ने नीलू की गिरफ्तारी में काफी देरी की।
- 5 जुलाई 2017 को घटना होने के बावजूद, 12 अप्रैल 2018 तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया।

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नीलू की मां के डीएनए नमूने के मिलान के एक साल बाद, 13 अप्रैल 2018 को आरोपी को गिरफ्तार किया गया।
- वकील ने यह भी दावा किया कि सीबीआई ने जांच के दौरान 250 लोगों के खून के नमूने लिए थे, लेकिन इनमें छेड़छाड़ की गई।

कानून व्यवस्था पर उठा था सवाल

2017 में शिमला के कोटखाई क्षेत्र में स्कूली छात्रा गुड़िया के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना सामने आई थी, जिसने पूरे प्रदेश में उबाल ला दिया था। इस मामले को लेकर जनता में भारी आक्रोश था, जिसके चलते मामला सीबीआई को सौंपा गया। जांच के बाद, सीबीआई ने नीलू चिरानी को इस जघन्य अपराध का दोषी ठहराया, जिसके बाद **शिमला जिला अदालत ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

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दोषी पक्ष रखेगा अंतिम दलीलें

हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि अब दो दिन लगातार दोपहर 3 बजे के बाद इस मामले की सुनवाई होगी। मंगलवार को दोषी पक्ष के अधिवक्ता अपनी अंतिम दलीलें पेश करेंगे। इस केस पर पूरे हिमाचल की नजरें टिकी हुई हैं, क्योंकि हाईकोर्ट का फैसला यह तय करेगा कि जिला अदालत द्वारा सुनाई गई सजा को बरकरार रखा जाएगा या इसमें कोई बदलाव होगा।

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