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July 6, 2025

हिमाचल : फर्जी प्रमाण पत्र से हथियाई सरकारी नौकरी, राज खुलने पर "बिहारी बाबू" हुआ सस्पेंड

1.31 लाख से अधिक का लिया वेतन

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Post Office Job

शिमला। हिमाचल प्रदेश में डाक विभाग में एक बार फिर फर्जी दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल करने का मामला सामने आया है, जिससे न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं, बल्कि भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता को लेकर भी चिंता जताई जा रही है।

फर्जी प्रमाण पत्र से हथियाई सरकारी नौकरी

बिहार के सीतामढ़ी जिले के बखरी डाकघर क्षेत्र निवासी सुजीत कुमार ने कथित तौर पर जाली 10वीं कक्षा के प्रमाण पत्र के आधार पर ग्रामीण डाक सेवक (GDS) के पद पर नियुक्ति हासिल कर ली थी।

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बन गया डाक सेवक

जानकारी के मुताबिक, डाक विभाग द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के माध्यम से शाखा पोस्ट मास्टर, सहायक शाखा पोस्ट मास्टर और ग्रामीण डाक सेवक के पदों के लिए मैट्रिक परीक्षा की मेरिट के आधार पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी।

 

इसी प्रक्रिया के तहत सुजीत कुमार को 14 सितंबर 2021 को चयनित किया गया, और उसकी तैनाती रिकांगपिओ डाक मंडल के तहत पूह उप डाकघर के अंतर्गत नमज्ञा ब्रांच ऑफिस (बीओ) में की गई। वह 19 मई 2022 तक इस पद पर कार्यरत रहा।

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बोर्ड की जाली मार्कशीट लगाई

सुजीत कुमार ने नौकरी पाने के लिए तमिलनाडु राज्य विद्यालय परीक्षा बोर्ड द्वारा 10 जून 2017 को जारी दर्शाई गई एक 10वीं की मार्कशीट जमा करवाई थी। प्रारंभिक तौर पर दस्तावेजों की जांच में कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई, लेकिन जब विभाग ने प्रमाण पत्र की असलियत को जांचने के लिए संबंधित बोर्ड से सत्यापन करवाया, तो बड़ा खुलासा हुआ।

सरकारी रिकॉर्ड में नहीं मिला प्रमाण पत्र

सत्यापन के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि प्रमाण पत्र न तो सरकारी परीक्षा निदेशालय चेन्नई द्वारा जारी किया गया था और न ही विभागीय रिकॉर्ड में मौजूद था। इससे यह स्पष्ट हो गया कि सुजीत कुमार ने नौकरी पाने के लिए जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है। इस खुलासे के बाद डाक विभाग में हड़कंप मच गया।

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CBI की शिमला शाखा में मामला दर्ज

मामले की गंभीरता को देखते हुए पोस्टल डिवीजन रामपुर के अधीक्षक की शिकायत पर सीबीआई की शिमला शाखा ने सुजीत कुमार सहित अज्ञात लोक सेवकों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक षड्यंत्र, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अब यह पता लगाया जा रहा है कि क्या यह कोई व्यवस्थित गिरोह का हिस्सा था, जो सरकारी नौकरियों में इस तरह की घुसपैठ कर रहा है।

1.31 लाख से अधिक का लाभ

जांच में यह भी सामने आया है कि सुजीत कुमार ने फर्जी प्रमाण पत्र के बल पर सरकारी सेवा में रहते हुए 14 सितंबर 2021 से 19 मई 2022 तक कुल ₹1,31,038 का वेतन प्राप्त किया। यानी, उसने न केवल विभाग को वित्तीय क्षति पहुंचाई, बल्कि सरकारी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए। मामला उजागर होने के बाद विभाग ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

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पहले भी सामने आ चुके हैं ऐसे मामले

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में सरकारी नौकरियों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नियुक्ति पाने के कई मामले पहले भी उजागर हो चुके हैं। इनमें से कई मामलों की जांच पहले से ही CBI और विजिलेंस विभाग के पास लंबित है। अब इस नए मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या कोई संगठित गिरोह इस फर्जीवाड़े के पीछे है।

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