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December 25, 2025

IGMC के डॉक्टर को मिली सजा : सुक्खू सरकार ने नौकरी से निकाला, आज पुलिस कब्जे में लेगी वीडियो

डॉक्टर और मरीज की वीडियो वायरल- सुक्खू सरकार ने लिया बड़ा एक्शन

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IGMC Doctor Patient

शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित IGMC में मरीज के साथ मारपीट का मामला आखिरकार सुक्खू सरकार के सख्त फैसले तक पहुंच गया है। राज्य सरकार ने जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर डॉ. राघव निरुला को नौकरी से बर्खास्त कर दिया है।

वीडियो कब्जे में लेगी पुलिस

वहीं, मामले में शिमला पुलिस की जांच भी जारी है। पुलिस आज घटना का वीडियो अपने कब्जे में लेगी। बताया जा रहा है कि वीडियो बनाने वाला व्यक्ति फिलहाल शिमला में मौजूद नहीं था, जिस कारण बुधवार को वीडियो जब्त नहीं किया जा सका। उसके शिमला पहुंचते ही उसे जांच में शामिल कर वीडियो पुलिस अपने कब्जे में लेगी।

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पुलिस की जांच तेज

इसके अलावा आरोपी डॉक्टर, उसके साथ मौजूद अन्य डॉक्टरों और मौके पर मौजूद तीमारदारों के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह बात भी सामने आई है कि पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के वार्ड में CCTV कैमरे नहीं लगे थे। अगर कैमरे होते तो घटना से जुड़े कई अहम तथ्य सामने आ सकते थे। 

डॉक्टर को किया टर्मिनेट

आपको बता दें कि स्वास्थ्य विभाग के निदेशालय चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान की ओर से इस संबंध में आधिकारिक टर्मिनेशन ऑर्डर जारी कर दिए गए हैं। सरकार की ओर से जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि IGMC की अनुशासनात्मक जांच समिति से मिली रिपोर्ट में डॉक्टर को दोषी पाया गया है।

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डॉक्टर ने मरीज को पीटा

रिपोर्ट के अनुसार 22 दिसंबर, 2025 को मरीज अरुण (36) और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव निरुला के बीच अस्पताल के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग में हाथापाई हुई थी। इस घटना ने न केवल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए, बल्कि डॉक्टर-मरीज संबंधों की मर्यादा को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया।

जांच रिपोर्ट के बाद हुआ बड़ा फैसला

सरकार ने अपने आदेश में बताया कि घटना का वीडियो सामने आने के बाद डॉ. राघव निरुला को पहले तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया गया था। इसके बाद 72 घंटे के भीतर रिपोर्ट देने के लिए एक जांच समिति का गठन किया गया।

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डॉक्टर की पाई गई गलती

24 दिसंबर को IGMC के प्रिंसिपल ने समिति की रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसमें यह निष्कर्ष निकाला गया कि घटना के लिए दोनों पक्ष-मरीज और डॉक्टर जिम्मेदार हैं। बावजूद इसके, सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर होने के नाते डॉ. राघव निरुला का आचरण रेजिडेंट डॉक्टर नीति, 2025 के विपरीत पाया गया। नीति की धारा-9 के प्रावधानों के तहत सरकार ने उनकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दीं।

नौकरी से हटाने के निर्देश

अनुशासनात्मक समिति ने अपनी सिफारिश में डॉक्टर को छुट्टी पर भेजने की बात कही थी, लेकिन मामले की गंभीरता, वीडियो साक्ष्य और जन आक्रोश को देखते हुए सरकार ने इससे भी कठोर निर्णय लेते हुए नौकरी से हटाने का आदेश दिया।

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क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि 22 दिसंबर 2025 को करीब साढ़े 12 बजे शिमला के कुपवी, जुब्बल क्षेत्र के रहने वाले अर्जुन सिंह पंवार इलाज के लिए IGMC पहुंचे थे। एंडोस्कॉपी विभाग में उनका एक टेस्ट हुआ था और डॉक्टरों ने उन्हें दो घंटे आराम करने की सलाह दी थी, क्योंकि इसके बाद एक और जांच होनी थी।

डॉक्टर ने की बदतमीजी

इसी दौरान आरोप है कि सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर राघव निरुला ने मरीज से बदतमीजी से बात की और तू-तड़ाक करते हुए संवाद किया। मरीज द्वारा आपत्ति जताने पर बहस बढ़ गई। वायरल वीडियो में डॉक्टर यह कहते हुए नजर आए कि “तू मुझसे कितना बड़ा है, मैं 32 साल का हूं और तू मुझसे चार साल ही बड़ा है।” इसी बहस ने बाद में हिंसक रूप ले लिया। आरोप है कि डॉक्टर ने ऑक्सीजन सपोर्ट पर बेड पर लेटे मरीज पर हमला किया, वहीं मरीज ने भी जवाबी कार्रवाई में डॉक्टर को लात मारी।

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घटना की वीडियो वायरल

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसने पूरे देश में हंगामा मचा दिया। मरीज के परिजनों ने शिमला पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जबकि उन्होंने डॉक्टर के खिलाफ हत्या के प्रयास (अटैम्प्ट टू मर्डर) की धाराएं लगाने की भी मांग की। वीडियो के वायरल होने के बाद सरकार पर भी सख्त कार्रवाई का दबाव लगातार बढ़ता गया।

सरकार का संदेश: अस्पतालों में अनुशासन

डॉ. राघव निरुला को नौकरी से निकालने के फैसले को सुक्खू सरकार की सख्त प्रशासनिक कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है। सरकार ने यह स्पष्ट संकेत दिया है कि अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा और सम्मान से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। साथ ही यह मामला डॉक्टरों और मरीजों- दोनों के लिए एक चेतावनी है कि किसी भी परिस्थिति में हिंसा और अभद्र व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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