#अपराध
December 22, 2025
हिमाचल में चिट्टे से एक और घर तबाह- बेटा करता है पिटाई, FD तक तोड़ी- मां ने SDM को सुनाई आपबीती
90 प्रतिशत युवाओं का कहना कि पहली डोज दोस्त ने दी
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शिमला। ‘चिट्टा’- एक ऐसा जहर जिसने हिमाचल प्रदेश के कई परिवारों को उजाड़ दिया है। यह सिर्फ एक नशा नहीं, बल्कि हिमाचल प्रदेश के सैकड़ों घरों की खुशियों को निगल चुका ऐसा जहर बन चुका है, जो चुपचाप परिवारों की जड़ों को खोखला कर रहा है।
नशे की यह लत अब पहाड़ों के गांवों तक पहुंच चुकी है और इसका सबसे दर्दनाक चेहरा तब सामने आता है, जब संतान ही अपने मां-बाप के लिए सबसे बड़ा संकट बन जाए। ऐसी ही एक दिल दहला देने वाली कहानी ठियोग क्षेत्र से सामने आई है।
मां-बेटे की इस दर्दनाक कहानी को SDM ठियोग डॉ. शशांक गुप्ता ने मतियाणा स्कूल में आयोजित एक जागरूकता शिविर के दौरान सार्वजनिक किया। यह शिविर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था।
SDM ने बताया कि कुछ समय पहले एक बुजुर्ग मां उनके कार्यालय पहुंची। उसका दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल था। उसने बताया कि उसका बेटा चिट्टे का आदी हो चुका है। नशे की लत इस हद तक बढ़ गई कि बेटे ने अपनी ही मां के साथ मारपीट की और घर में जमा एकमात्र सहारा बैंक की FD तक तोड़ दी। उस FD से मिली रकम भी बेटे ने चिट्टा खरीदने में उड़ा दी।
मां ने रोते हुए कहा कि जिस बेटे को उसने बुढ़ापे का सहारा समझा था, वही आज उसके जीवन का सबसे बड़ा डर बन गया है। इसके बावजूद मां के दिल में बेटे के लिए नफरत नहीं, बल्कि उसे बचाने की बेचैनी थी।
उसने SDM से हाथ जोड़कर गुहार लगाई कि बेटे को किसी अच्छे नशामुक्ति केंद्र में भेजा जाए। उसने कहा “मैं अपने बेटे को खोना नहीं चाहती, बस उसे इस दलदल से बाहर निकाल दीजिए।
मां की आपबीती सुनकर SDM डॉ. शशांक गुप्ता ने तत्काल पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया। युवक को बुलाकर समझाया गया और पुलिस को उसके व्यवहार पर लगातार नजर रखने के निर्देश दिए गए।
SDM ने इस मौके पर कहा कि नशा अब समाज की चौखट पर दस्तक नहीं दे रहा, बल्कि सीधे घरों के अंदर घुस चुका है। उन्होंने युवाओं को चेताया कि बीड़ी, सिगरेट और शराब से शुरू होने वाला यह सफर अक्सर सिंथेटिक ड्रग्स जैसे चिट्टे तक पहुंच जाता है, जहां से वापसी बेहद मुश्किल हो जाती है।
कार्यक्रम में मौजूद DSP सिद्धार्थ शर्मा ने कहा कि नशे की गिरफ्त में आए व्यक्ति को छिपाने या डराने के बजाय सही समय पर चिकित्सा सहायता देना जरूरी है। नशे का इलाज अस्पताल और नशामुक्ति केंद्रों में वैज्ञानिक तरीके से ही संभव है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सिंथेटिक ड्रग्स के मामले हर साल तेजी से बढ़ रहे हैं, जो बेहद चिंताजनक संकेत है।
DSP सिद्धार्थ शर्मा ने बताया कि पिछले तीन साल में महज ठियोग क्षेत्र में ही 1.700KG चिट्टा जब्त किया गया है- यानी इलाके से तीन साल में करोड़ों रुपये का चिट्टा बरामद किया गया है। उन्होंने कहा कि इस चिट्टे की एक डोज पांच से दस हजार रुपये में मिलती है। ऐसे में नशे की लत को पूरा करने के लिए युवा गलत तरीके अपनाते हैं।
उन्होंने बताया कि चिट्टा हिमाचल के युवाओं में अपनी जड़े दिन-प्रतिदिन मजबूत करता जा रहा है। अभी तक दो हजार से भी ज्यादा युवा नशे के आदि मिले हैं- जिनमें से करीब 90 फीसदी युवाओं ने बताया कि उन्हें चिट्टे की पहली डोज उनके दोस्त ने दी थी। उन्होंने स्थानीय जनता से अपील करते हुए कहा कि अगर किसी को भी कोई नशा करते या नशा बेचते दिखाई देता है तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें और युवा पीढ़ी को नशे के इस दलदल में धंसने से बचाने में पुलिस का सहयोग करे।
DSP ने बताया कि राज्य सरकार ने “चिट्टा मुक्त हिमाचल” का संकल्प लिया है। इसके तहत प्रदेश भर में एंटी चिट्टा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। गांव-गांव, स्कूलों और कस्बों में वॉकथॉन आयोजित किए जा रहे हैं, ताकि युवाओं को नशे के खिलाफ एकजुट किया जा सके। इसके साथ ही नशा तस्करों की सूचना देने वालों को इनाम देने की योजना भी लागू की गई है, ताकि आम लोग भी इस लड़ाई में भागीदार बन सकें।