#अपराध
February 11, 2025
हिमाचली युवक को डिजिटल अरेस्ट कर ठगे 17.5 लाख, सरगना समेत 8 हुए गिरफ्तार
पुलिस टीम ने ठगों के बैंक खाते किए फ्रीज
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रिकांगपिओ। हिमाचल प्रदेश में बीते कुछ समय से ठगी और फ्रॉड के मामले बढ़ गए हैं। सूबे के कई लोग आए दिन ठगी का शिकार हो रहे हैं। शातिर नए-नए तरीके अपना कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं और लोगों की जमा-पूंजी हड़प रहे हैं। मगर पुलिस द्वारा ऐसे शातिरों पर कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
इसी कड़ी में ताजा मामला हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले से सामने आया है। यहां युवक को डिजिटल अरेस्ट कर उससे 17.5 लाख रुपए ठगने के मामले में पुलिस टीम ने मुख्य सरगना समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। अभी पुलिस को इस गिरोह में और लोगों के शामिल होने का शक है।
पुलिस टीम ने सभी आठ आरोपियों के बैंक खाते भी फ्रीज कर दिए हैं और साढे 6 लाख रुपए भी जब्त कर लिए हैं। पुलिस टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए यह सभी आरोपी बिहार, हैदराबाद और गुजरात के रहने वाले हैं।
शुरुआती जांच में यह सभी आरोपी हिमाचल में हुई ठगी के कई मामलों में संलिप्त बताए जा रहे हैं। पुलिस टीम द्वारा आरोपियों के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं ताकि पता लगाया जा सके कि इनके साथ और कितने लोग शामिल हैं और इस गिरोह के अब तक कितने लोगों को ठगा है।
मामले की पुष्टि करते हुए SP किन्नौर अभिषेक शेखर ने बताया कि पुलिस टीम ने हैदराबाद में दबिश देकर पहले आरोपी रवि कुमार, सुर्दशन, रेवती और मोहम्मद नवाज को अरेस्ट किया। पुलिस टीम द्वारा इन आरोपियों से पूछताछ की गई- जिसके आधार पर फिर बिहार से शिंटू कुमार मिश्रा और आनंद को गिरफ्तार किया गया।
आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि ठगी का यह नेटवर्क गुजरात से चलाया जा रहा है। इसके बाद पुलिस टीम ने गुजरात में दबिश देकर इस गिरोह के मुख्य सरगना मेहुल ठाकोर उर्फ जिमी और जिगनेश उर्फ रॉक को दबोचा। प्रारंभइिक जांच में पाया गया कि दोनों मुख्य सरगाना इस गिरोह के अन्य लोगों से टेलीग्राम और व्हाट्सएप के माध्यम से बात करते थे। फिर ये सब सोशल मीडिया पर जाल बिछाते थे और लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे।
आपको बता दें कि ठगी का यह मामला बीते साल 18 नवंबर को सामने आया था। किन्नौर के एक युवक को डिजिटल अरेस्ट कर शातिरों ने उसके साथ 17.5 लाख रुपए की ठगी की थी। मामले की शिकायत बीती 20 नवंबर को मूरंग पुलिस थाने में मामला दर्ज हुआ था। इसके बाद पुलिस टीम ने साइब सेल की मदद से कॉल डिटेल और अन्य डिजिटल माध्यमों से आरोपियों को ट्रैक करना शुरू किया और उनके ठिकानों पर दबिश दे उन्हें गिरफ्तार किया।