#अव्यवस्था
December 7, 2025
हिमाचल के बड़े अस्पताल का कारनामा : जिस मरीज को किया मृ*त घोषित, घर पहुंचते ही हो गया जिंदा
घर आकर परिजनों ने बातें की, पानी पिया...
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कांगड़ा। हिमाचल प्रदेश के बड़े सरकारी अस्पताल से बेहद हैंरान कर देने वाला मामला सामने आया है। इस मामले को सुनने वाले हर व्यक्ति के कुछ पलों के लिए होश उड़ जाते हैं। टांडा मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरोंं द्वारा मृत घोषित किया गया व्यक्ति, कुछ घंटों बाद दोबारा जिंदा हो गया।
पालमपुर में सामने आई इस घटना ने न केवल परिजनों को गहरा सदमा दिया, बल्कि टांडा मेडिकल कॉलेज की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले के उजागार को होने के बाद लोगों में काफी रोष और गुस्सा है।
जानकारी के अनुसार, नगर निगम पालमपुर के बिंद्राबन वार्ड के लोहरल इलाके के रहने वाले 52 वर्षीय मिलाप चंद की तबीयत शुक्रवार देर शाम अचानक बिगड़ गई। गंभीर स्थिति देखते हुए परिजन उन्हें तुरंत टांडा मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे, जहां शनिवार दोपहर करीब 1 बजे चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल की औपचारिकताएं पूरी कर शव परिजनों को सौंप दिया गया।
घर लौटते समय परिजन शोक में डूबे हुए थे। रिश्तेदारों को भी मौत की सूचना दे दी गई थी और अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो चुकी थीं। लेकिन इस कहानी में ऐसा मोड़ आया, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
परिजनों ने बताया कि दोपहर करीब 4 बजे जब वे शव को घर पर चारपाई पर रख रहे थे, तभी अचानक मिलाप चंद की पलकें हिलने लगीं। पहले तो परिवार ने इसे भ्रम समझा, लेकिन कुछ ही क्षण बाद उनके होंठों और उंगलियों में हलचल दिखने लगी।
इसके बाद परिवार में हड़कंप मच गया। भय और उम्मीद के बीच झूलते परिजनों ने पानी पिलाने की कोशिश की और हैरानी की बात यह रही कि मिलाप चंद ने पानी निगल भी लिया।
परिजन अरविंद कुमार ने बताया कि मिलाप चंद इशारों में बात करने की स्थिति में भी थे। यह देखकर हर कोई सन्न रह गया।
एक मृत शरीर का इस तरह जीवित होना मानो किसी चमत्कार से कम नहीं था। मगर इसी के साथ अस्पताल प्रशासन की गंभीर लापरवाही भी उजागर होने लगी। परिजनों का साफ आरोप है कि बिना सही जांच-पड़ताल और बिना किसी पुनः परीक्षण के मिलाप चंद को मृत घोषित कर दिया गया। अगर समय रहते उनकी स्थिति पर ठीक से ध्यान दिया जाता, तो उनकी जान शायद बचाई भी जा सकती थी।
परिजनों ने बताया मिलाप चंद ने लगभग पांच घंटे तक जीवित रहने के संकेत दिए। लेकिन शनिवार रात करीब 9 बजे उनकी सांसें चलना बंद हो गईं और उन्होंने दम तोड़ दिया। परिवार के लिए यह पूरा घटनाक्रम भावनात्मक रूप से किसी तूफ़ान से कम नहीं था—एक तरफ अचानक मिली उम्मीद, और दूसरी तरफ फिर से मिली दर्दनाक खबर।
टांडा मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विवेक बन्याल ने कहा है कि अगर ऐसी घटना हुई है तो इसकी विस्तृत जांच की जाएगी। उन्होंने आश्वासन दिया कि सोमवार तक मामले की पूरी सच्चाई सामने रखी जाएगी।
परिजनों ने साफ कहा है कि अगर मिलाप चंद को दोबारा जांचा जाता, तो शायद उन्हें नया जीवन मिल सकता था। यह घटना न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह प्रदेश के सबसे बड़े मेडिकल संस्थानों में से एक की गंभीर लापरवाही का उदाहरण भी बनकर सामने आई है।
इस मामले की जांच से आने वाले दिनों में कई अहम खुलासे हो सकते हैं, लेकिन फिलहाल यह घटना प्रदेश भर में चर्चा का विषय बनी हुई है और टांडा मेडिकल कॉलेज की विश्वसनीयता को कटघरे में खड़ा कर रही है।