#अव्यवस्था
April 23, 2025
शिमला पुलिस की बेदर्दी: IGMC से डिस्चार्ज करवाकर बेसहारा छोड़ दिया दृष्टिबाधित
घायल दृष्टिबाधित को देखभाल के बिना छोड़ा घर
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शिमला। दृष्टिबाधित व्यक्ति को इलाज के बाद उचित देखभाल के इंतज़ाम किए बिना घर छोड़ने को लेकर शिमला पुलिस एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गई है। मंडी जिले के थुनाग-छत्री क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले दृष्टिबाधित दयावंत 27 मार्च को छोटा शिमला में प्रदर्शन के दौरान पुलिस की लापरवाही से घायल हो गए थे। लेकिन 16 अप्रैल को जब वह न तो चलने की हालत में थे और न ही उनके पास देखभाल के लिए कोई था, उन्हें जबरन उनके गांव छोड़ा गया।
दयावंत उन दृष्टिबाधितों में शामिल थे, जो अपनी मांगों को लेकर छोटा शिमला में प्रदर्शन कर रहे थे। 27 मार्च को जब सचिवालय के बाहर प्रदर्शन चल रहा था, तो पुलिस ने रास्ता खुलवाने के लिए प्रदर्शनकारियों को हटाने की कोशिश की।
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इसी दौरान हुई धक्का-मुक्की में दयावंत सड़क किनारे खाईनुमा जगह में जा गिरे और गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए आईजीएमसी शिमला ले जाया गया, जहां 29 मार्च को उनकी टांग का ऑपरेशन हुआ।
दयावंत की पत्नी भी 100% दृष्टिबाधित हैं। ऐसे में दोनों ही लोग खुद की देखभाल करने में असमर्थ हैं। बावजूद इसके, 16 अप्रैल को पुलिस उन्हें घर छोड़ आई। परिजनों का आरोप है कि उन्होंने पुलिस से अनुरोध किया था कि दयावंत को कुछ दिन और शिमला में किसी व्यवस्था के तहत रखा जाए ताकि देखभाल हो सके, लेकिन पुलिस ने एक न सुनी।
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दयावंत के परिजनों में राजेश ठाकुर का कहना है कि "हमने हाथ जोड़कर कहा कि उसे अभी गांव मत भेजो, लेकिन पुलिस वालों ने जबरदस्ती गाड़ी में बिठाकर उसे गांव में छोड़ दिया। अब खाना-पानी तक पड़ोसी दे रहे हैं।"
दयावंत को आईजीएमसी से दी गई डिस्चार्ज स्लिप में 14 अप्रैल को एडमिशन की तारीख बताई गई है, जबकि उन्हें 28 मार्च से ही अस्पताल में भर्ती किया गया था। इससे यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मरीज की सही मेडिकल हिस्ट्री को छिपाने की कोशिश क्यों की गई? और यदि वह पूरी तरह से ठीक नहीं हुए थे, तो इतनी जल्दी डिस्चार्ज क्यों किया गया? दयावंत ने कहा कि, "अभी भी टांग में बहुत दर्द है, मैं बिना सहारे चल नहीं सकता। मेरी पत्नी भी देख नहीं सकती, अब हमारी देखभाल कौन करेगा?"
इससे पहले भी शिमला पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ चुके हैं। कुछ दिन पहले ही वकीलों ने एक पुलिस कर्मी द्वारा मारपीट करने पर छोटा शिमला थाने का घेराव किया था।
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इसके बाद दबाव में आकर उस पुलिसकर्मी को निलंबित किया गया था। अब इस घटना में भी पुलिस की संवेदनहीनता सामने आई है, जहां एक गंभीर रूप से घायल दृष्टिबाधित को बिना किसी सहारे और देखभाल के उसके गांव भेज दिया गया।
शिमला पुलिस का कहना है कि आईजीएमसी ने मरीज को डिस्चार्ज कर दिया था और मानवता के आधार पर उसे घर पहुंचाया गया। पुलिस के मुताबिक अब देखभाल की जिम्मेदारी परिजनों की है और आगे के चेकअप्स के लिए उन्हें ही मरीज को अस्पताल लाना होगा। हालांकि, सामाजिक संगठनों का कहना है कि जब मरीज खुद चलने-फिरने में असमर्थ है और परिजन भी असहाय हैं, तब यह तर्क मानवीयता के खिलाफ है।