#अव्यवस्था
October 30, 2025
शिमला नगर निगम में मेयर का कार्यकाल बढ़ाने पर हंगामा: विपक्ष के साथ कांग्रेस पार्षद भी नाराज
पार्षद बोले- “रोस्टर में छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं”
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजनीति में आज गुरुवार को उस समय हलचल मच गई जब शिमला नगर निगम की बैठक में सुक्खू सरकार के फैसले के खिलाफ कांग्रेस के अपने ही पार्षद खड़े हो गए। सरकार ने हाल ही में मेयर और डिप्टी मेयर का कार्यकाल ढाई साल से बढ़ाकर पांच साल करने का निर्णय लिया था, लेकिन अब इसी फैसले को लेकर कांग्रेस के भीतर ही मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं।
बतौर रिपोर्टर्स, बैठक के दौरान भाजपा पार्षदों ने सरकार के इस निर्णय के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। चौंकाने वाली बात यह रही कि कांग्रेस के 13 पार्षदों ने भाजपा के इस प्रस्ताव का समर्थन कर दिया। यह पहली बार हुआ जब ruling पार्टी के पार्षद सरकार के खिलाफ खड़े हुए।
नाराज़ पार्षदों ने मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार ने नगर निगम के रोस्टर में मनमाना बदलाव किया है। उनका आरोप है कि शिमला मेयर का पद महिला के लिए आरक्षित होना चाहिए था, लेकिन सरकार ने इस आरक्षण से छेड़छाड़ की है। पार्षदों का कहना है कि पार्टी नेतृत्व ने उनकी राय लिए बिना यह फैसला लिया, जिससे लोकतांत्रिक परंपराओं को ठेस पहुँची है।
बैठक के दौरान माहौल काफी गर्म हो गया। भाजपा पार्षद मेयर सुरेंद्र चौहान के सामने धरने पर बैठ गए और जमकर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस के कई पार्षद भी भाजपा के सुर में सुर मिलाते हुए सरकार के खिलाफ बोलने लगे।
दोनों दलों के पार्षदों का तर्क था कि पिछले कार्यकाल की तरह ढाई साल बाद मेयर और डिप्टी मेयर पद महिला को मिलना चाहिए था, लेकिन सरकार ने इस बार नियमों को ताक पर रख दिया।
लगातार विरोध के चलते बैठक की कार्यवाही को कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा। 20 मिनट बाद जब बैठक दोबारा शुरू हुई तो कांग्रेस के 15 पार्षद भाजपा के प्रस्ताव पर सिग्नेचर करके हॉल से बाहर चले गए। भाजपा पार्षद कल्याण धीमान, कमलेश मेहता, आशा शर्मा और बिट्टू कुमार पाना ने सरकार के फैसले को पूरी तरह गलत बताया। उनका कहना था कि पिछले कार्यकाल में भी मेयर और डिप्टी मेयर ढाई-ढाई साल के लिए चुने गए थे, इसलिए अब नियमों में बदलाव लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है।
बिट्टू कुमार ने कहा कि मेयर-डिप्टी मेयर पद के लिए दोबारा वोटिंग करवाई जानी चाहिए ताकि जनता का प्रतिनिधित्व सही रूप में सामने आए। वहीं कमलेश मेहता ने कहा कि वे किसी व्यक्ति विशेष के विरोध में नहीं हैं, लेकिन आरक्षण नीति के साथ छेड़छाड़ स्थायी समस्या बन सकती है।
हंगामे के बाद मेयर सुरेंद्र चौहान ने कहा कि यह मामला उनके ध्यान में नहीं था और सरकार के नाम से नहीं बल्कि भाजपा पार्षदों के नाम से प्रस्ताव भेजा गया था। उन्होंने कहा कि “कांग्रेस पार्षदों की असहमति को पार्टी स्तर पर सुलझाया जाएगा, लेकिन भाजपा इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रही है।”