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April 4, 2025

हिमाचल के सरकारी अस्पतालों में फ्री टेस्ट सुविधा बंद! पर्ची बनाने के भी लगेंगे पैसे

IGMC में ECG और अल्ट्रासाउंड जैसे कुछ टेस्ट के लिए शुल्क लिया जा रहा है

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Himachal Government Hospitals

शिमला। हिमाचल प्रदेश की जनता के लिए बुरी खबर है। प्रदेश के अस्पतालों में मिलने वाली फ्री टेस्ट सुविधा खत्म होने वाली है। यानी अब लोगों को सरकारी अस्पतालों में टेस्ट करवाने के पैसे चुकाने होंगे। इतना ही नहीं पर्ची बनवाने के लिए भी पैसे देने होंगे।

नहीं मिलेगी फ्री सुविधा

आपको बता दें कि सरकार अब अपने सरकारी अस्पतालों में बाह्य रोगियों को दी जाने वाली निशुल्क जांचों की सुविधा को समाप्त करने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग ने इस दिशा में प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू कर दी है और सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है जिसमें पर्ची शुल्क 10 रुपये निर्धारित करने और मेडिकल जांचों के लिए फीस तय करने की सिफारिश की गई है। अब इस पर अंतिम निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया जाएगा।

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निशुल्क टेस्ट से सरकार पर आर्थिक बोझ

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जब से निशुल्क जांच की सुविधा शुरू की गई है, तब से लोग हर महीने या तिमाही में बार-बार पूरे शरीर के टेस्ट करा रहे हैं, चाहे मेडिकल आवश्यकता हो या नहीं। इससे सरकारी प्रयोगशालाओं पर बोझ तो बढ़ा ही है, साथ ही सरकार को भी आर्थिक रूप से इसका भार उठाना पड़ रहा है। इस समय प्रदेश में लगभग 130 प्रकार की मेडिकल जांचें फ्री में की जा रही हैं, जिनका पूरा खर्च सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है।

IGMC में शुरू हो चुका है शुल्क लेना

शिमला स्थित IGMC में पहले ही आउटडोर मरीजों से ECG और अल्ट्रासाउंड जैसे कुछ टेस्ट के लिए शुल्क लिया जा रहा है। अब स्वास्थ्य विभाग इसी तर्ज पर पूरे राज्य में बाह्य रोगियों के लिए निशुल्क टेस्ट बंद करने पर विचार कर रहा है। इन बदलावों को लागू करने से पहले विभाग ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी है, जिसके अनुमोदन के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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सामान्य रोगों पर भी भारी-भरकम बिल

राज्य सरकार ने हिमकेयर योजना के अंतर्गत आने वाले इलाजों के बिलों का भी ऑडिट शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र के दौरान घोषणा की थी कि हिमकेयर के तहत की गई पेमेंट्स की जांच कराई जाएगी। आरोप हैं कि आंखों के साधारण ऑपरेशन, सर्दी-जुकाम जैसे मामूली इलाज पर हजारों रुपये के बिल जनरेट किए गए। इतना ही नहीं, हर्निया जैसे सामान्य ऑपरेशन के लिए भी लाखों रुपये तक के भुगतान दिखाए गए हैं।

निजी कंपनियों की लैब पर निर्भरता

प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों, सिविल अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में निजी कंपनियों के सहयोग से प्रयोगशालाएं स्थापित की गई हैं। इन लैब्स में सभी मेडिकल जांचों का खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है। निजी कंपनियां हर साल करोड़ों रुपये का बिल सरकार को भेजती हैं, जिसे क्लियर करना एक बड़ी चुनौती बन गया है।

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लंबी कतारें और समय की बर्बादी

निशुल्क जांचों की सुविधा से प्रयोगशालाओं में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। रिपोर्ट लेने के लिए घंटों कतार में खड़े रहना पड़ता है। ऐसे में जो मरीज वाकई बीमार हैं, उन्हें भी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। इस परिस्थिति को देखते हुए विभाग का मानना है कि जांचों पर नाममात्र का शुल्क लगाकर व्यवस्था को व्यवस्थित किया जा सकता है।

स्वास्थ्य सचिव ने दी स्थिति की जानकारी

राज्य की स्वास्थ्य सचिव एम. सुधा देवी ने बताया कि फिलहाल निशुल्क टेस्ट बंद करने को लेकर अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। यह मुद्दा सरकार के विचाराधीन है और आमजन की सहूलियत और वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लिया जाएगा।

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