#अव्यवस्था
October 27, 2025
हिमाचल में फिर गरजे दृष्टिवाधित, बोले- अब भी नहीं जागी सरकार- तो न*ग्न होकर करेंगे प्रदर्शन
734 दिन से धरने पर बैठे दृष्विाधितों की सरकार को दो टूक
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शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक बार फिर दृष्टिवाधितों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सचिवालय के बाहर धरना प्रदर्शन किया। सोमवार को दृष्टिवाधित जन संगठन ने राज्य सचिवालय के बाहर प्रदर्शन कर अपनी नाराज़गी जताई। यह संघर्ष अब पिछले दो साल से लगातार जारी है और कालीबाड़ी में दृष्टिवाधित पिछले 734 दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं। यह हिमाचल के इतिहास में सबसे लंबा आंदोलन माना जा रहा है।
दृष्टिवाधित संघ का आरोप है कि सरकार उनकी मांगों पर कोई ध्यान नहीं दे रही। संगठन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी आवाज़ को अनसुना किया गया तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगे और इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सचिवालय के सामने नग्न प्रदर्शन करेंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी।
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दृष्टिवाधित संघ के सचिव राजेश ठाकुर ने बताया कि उनकी मुख्य मांग प्रदेश के विभिन्न विभागों में दृष्टिवाधितों के कोटे पर लंबे समय से खाली पड़े बैकलॉग पदों को एकमुश्त भरने की है। पिछले दो वर्षों में संगठन ने कई बार वार्ता की, लेकिन सकारात्मक परिणाम अब तक नहीं निकले। ठाकुर ने कहा कि सरकार हमारी समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। हम लगातार अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन बजट में दृष्टिवाधितों के लिए कोई स्थान नहीं दिया जा रहा और भर्तियां नहीं की जा रही हैं।
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संगठन का कहना है कि 1995 के बाद से उनके कोटे के कई पद खाली हैं, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने भर्तियों के आदेश भी दिए हैं। पिछले दो वर्षों में दृष्टिवाधित कई बार चक्का जाम कर चुके हैं। जब उनका प्रदर्शन होता है, तो उन्हें चर्चा के लिए बुलाया जाता है, लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं होती।
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संगठन के सदस्य लक्की ने सरकार पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा कि सुक्खू सरकार हमारी मांगों पर बेरुखी का रवैया अपना रही है। हम लंबे समय से धरने पर बैठे हैं, लेकिन हमारी समस्या का कोई हल नहीं निकल रहा। अगर हमारी मांगों को अनसुना किया गया तो हम आमरण अनशन करेंगे और फिर भी अगर कोई सुनवाई नहीं हुई तो सभी दृष्टिवाधित सचिवालय के सामने नग्न होकर प्रदर्शन करेंगे।
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दृष्टिवाधित संघ का कहना है कि उनकी मांगें बिल्कुल न्यायसंगत हैं। वे सिर्फ अपने अधिकार चाहते हैं और चाहते हैं कि सरकार बैकलॉग पदों को तुरंत भरकर उन्हें रोजगार का अधिकार प्रदान करे। हिमाचल में दृष्टिवाधितों का यह आंदोलन यह संदेश दे रहा है कि जब तक उनकी आवाज़ नहीं सुनी जातीए वे शांत नहीं बैठेंगे। लेकिन सुक्खू सरकार की नीतियों और बेरुखी ने उनके संघर्ष को और भी लंबा कर दिया है।