#अव्यवस्था

December 30, 2025

"लो सुक्खू सरकार, आइना देखो"- 4 महीने से बंद पड़ी सड़क, गुस्साए ग्रामीणों ने कंधों पर ढोई कार

लगभग चार किलोमीटर तक कार को कंधों पर उठाकर चले ग्रामीण

शेयर करें:

Kalvari Panchayat Kullu PWD Himachal

कुल्लू। हिमाचल प्रदेश में इस बार मानसून ने भयावह मंजर दिखाया। लगातार और मूसलाधार बारिश ने राज्य के कई हिस्सों में ऐसी तबाही मचाई कि कुछ इलाकों में पूरे के पूरे गांव का नामोनिशान मिट गया। पहाड़ों के सीने चीरते भूस्खलन, उफनती नदियां और टूटते पहाड़ लोगों की जिंदगी पर भारी पड़े।

आपदा से सड़क बंद

वहीं, कुछ गांवों में तो हालात ऐसे बने कि वहां पहुंचने के लिए अब कोई रास्ता ही नहीं बचा। आपदा के महीनों बाद भी कई जगहों पर सड़कें सिर्फ कागजों में मौजूद हैं, जमीन पर नहीं। इससे ग्रामीणों को इलाज, शिक्षा और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी ही बदहाली की एक तस्वीर हिमाचल के कुल्लू जिले से सामने आई है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : गहरी खाई में गिरी कार, 2 सरकारी कर्मी थे सवार- एक ने तोड़ा दम, दूसरे की हालत नाजुक

"लो सुक्खू सरकार, आइना देखो"

बंजार क्षेत्र की खूबसूरत तीर्थन घाटी इन दिनों किसी प्राकृतिक सौंदर्य के कारण नहीं, बल्कि ग्रामीणों के अनोखे संघर्ष और जज्बे के चलते सुर्खियों में है। बंजार उपमंडल की कलवारी पंचायत के अंतर्गत आने वाले गलवाहधार-रंभी मार्ग पर जो नजारा सामने आया, उसने सरकारी तंत्र की कार्यप्रणाली को आइना दिखाया है।

ग्रामीणों ने कंधों पर ढोई कार

यहां सड़क पर वाहन नहीं, बल्कि आदमी चलते दिखे और उनके कंधों पर थी पूरी गाड़ी। दरअसल, आपदा को चार महीने बीत जाने के बावजूद गलवाहधार-रंभी सड़क पूरी तरह से बहाल नहीं हो पाई है। पलाहच से आगे महज आधा किलोमीटर जमद तक ही वाहन पहुंच पा रहे हैं, जबकि उसके आगे करीब 20 से 25 मीटर सड़क पूरी तरह से बह चुकी है।

 

car parts were dismantled carried on shoulders and taken to the road Kalvari Panchayat Kullu Himachal

यह भी पढ़ें : BREAKING : सवारियों से भरी बस गहरी खाई में गिरी, 7 लोगों की मौ*त- कई पहुंचे अस्पताल

सड़क के पार फंसी थी कार

इस कारण फगरौट गांव निवासी ज्ञान चंद की कार पिछले चार महीनों से सड़क के उस पार फंसी हुई थी। प्रशासन और लोक निर्माण विभाग से बार-बार गुहार लगाने के बावजूद जब कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीणों ने खुद ही हालात से लड़ने का फैसला लिया।

गाड़ी नहीं चली, तो कंधों पर उठा ली

ग्रामीणों ने सबसे पहले गाड़ी को चलने योग्य बनाने के बजाय उसे खोलने का निर्णय लिया गया। इंजन, चेसिस, बॉडी और अन्य भारी पुर्जों को अलग-अलग किया गया। इसके बाद गांव के दो दर्जन से अधिक लोग डंडों और देसी जुगाड़ के सहारे इन पुर्जों को अपने कंधों पर उठाकर तीन से चार किलोमीटर दूर उस स्थान तक ले गए, जहां सड़क वाहन चलने लायक है।

यह भी पढ़ें : नए साल पर सुक्खू सरकार की नई व्यवस्था : अब बिजली के लिए मोबाइल की तरह करना होगा रिचार्ज

चार किलोमीटर तक चले पैदल

इंजन जैसे भारी हिस्से को उठाना आसान नहीं था। पहाड़ी रास्ता, उबड़-खाबड़ पगडंडी और लगातार फिसलन के बावजूद ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी। कई घंटों की मशक्कत के बाद सभी पुर्जे सुरक्षित स्थान तक पहुंचाए गए, जहां बाद में गाड़ी को दोबारा जोड़ा जाएगा।

व्यवस्था पर उठे सवाल

इस पूरी घटना ने यह साफ कर दिया कि जब व्यवस्था मौन हो जाती है, तो आम लोग खुद समाधान ढूंढने को मजबूर हो जाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सड़क बंद होने से केवल एक गाड़ी नहीं, बल्कि पूरी पंचायत प्रभावित हो रही है। बीमारों को अस्पताल ले जाना, जरूरी सामान पहुंचाना और रोजमर्रा की आवाजाही बेहद मुश्किल हो चुकी है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल : 'पेड़ के बदले पैसा'- बेईमान निकला वन अधिकारी, मांग रहा था 3 लाख रिश्वत; हुआ अरेस्ट

सरकार ने फेरा मुंह

ग्रामीणों ने यह भी बताया कि यह पहली बार नहीं है। करीब एक सप्ताह पहले भी इसी सड़क पर आपदा के दौरान फंसी एक अन्य गाड़ी को इसी तरह पुर्जों में खोलकर बाहर निकाला गया था। तब भी प्रशासन को अवगत कराया गया, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। मानो सरकार ने उनके दर्द से मुंह फेर लिया हो।

कुछ नहीं कर रहा PWD

कलवारी पंचायत की प्रधान प्रेमलता ने कहा कि आपदा के बाद से लगातार लोक निर्माण विभाग से सड़क बहाल करने की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। उन्होंने कहा कि यह सड़क केवल एक गांव नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए जीवनरेखा है।

यह भी पढ़ें : अब लगाइए खूब तड़का: हिमाचल के डिपुओं में सस्ता हुआ सरसों तेल, यहां जानें नई कीमत

वहीं, लोक निर्माण विभाग बंजार के अधिशासी अभियंता चमन ठाकुर का कहना है कि जमद से आगे एक स्थान पर करीब 20 से 25 मीटर सड़क पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। सड़क बहाली के लिए भूमि से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं और प्रक्रिया पूरी होते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।

आपदा के बाद भी बदहाल

तीर्थन घाटी में आपदा के बाद हालात अब भी पूरी तरह सामान्य नहीं हो पाए हैं। छोटे वाहनों के लिए कुछ मार्ग अस्थायी तौर पर बहाल किए गए हैं, लेकिन बड़े वाहनों के लिए कई सड़कें अब भी बंद हैं। इसका सीधा असर पर्यटन, स्थानीय कारोबार और आम जनजीवन पर पड़ रहा है।

यह भी पढ़ें : हिमाचल में युवकों का बेहूदापन...बीच सड़क कमीजें खोल पी रहे शराब, पुलिस ने काटा मोटा चालान

मजबूरी में जूझ रहे ग्रामीण

बहरहाल, बंजार की इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि पहाड़ों में रहने वाले लोग सिर्फ प्रकृति से ही नहीं, व्यवस्था की अनदेखी से भी रोज जूझ रहे हैं। कंधों पर उठाई गई यह गाड़ी सिर्फ एक वाहन नहीं, बल्कि उस दर्द, गुस्से और मजबूरी की प्रतीक बन गई है, जो आज भी आपदा के महीनों बाद तीर्थन घाटी के लोगों के जीवन में मौजूद है।

नोट : ऐसी ही तेज़, सटीक और ज़मीनी खबरों से जुड़े रहने के लिए इस लिंक पर क्लिक कर हमारे फेसबुक पेज को फॉलो करें

ट्रेंडिंग न्यूज़
LAUGH CLUB
संबंधित आलेख