#अव्यवस्था
April 1, 2025
बदतर होती जा रही HRTC की हालत- घाटा 2119 करोड़ पहुंचा, रिपोर्ट से हुआ खुलासा
वित्तीय स्थिति: घाटे और चुनौतियों की गहराती समस्या
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में सार्वजनिक परिवहन का महत्वपूर्ण आधार माने जाने वाले हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। प्रदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बड़े उपक्रम के रूप में बिजली बोर्ड का स्थान है, जबकि HRTC राज्य का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम है। हालांकि, इसकी वित्तीय स्थिति साल दर साल कमजोर होती जा रही है।
प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत सार्वजनिक उपक्रमों की रिपोर्ट के अनुसार, HRTC का घाटा चिंताजनक रूप से बढ़ रहा है। वर्ष 2023 में 31 मार्च तक निगम का कुल घाटा 1966 करोड़ रुपए था, जो 2024 के अंत तक बढ़कर 2119 करोड़ रुपए हो गया। अनुमान है कि यह घाटा अब 2200 करोड़ रुपए के पार पहुंच चुका है।
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इस घाटे की एक बड़ी वजह निगम की सामाजिक जिम्मेदारी भी है, जिसके तहत उसे घाटे वाले रूटों पर भी बसें चलानी पड़ती हैं, ताकि प्रदेश के दूरदराज के इलाकों तक यातायात की सुविधा उपलब्ध कराई जा सके। वर्तमान में निगम के पास लगभग 3800 बस रूट और 3000 बसों का बेड़ा है।
HRTC द्वारा 28 विभिन्न श्रेणियों के यात्रियों को किराए में छूट दी जाती है। इनमें सबसे बड़ी लागत महिलाओं को दी जाने वाली 50% किराया छूट से आ रही है। इसके अलावा, छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों, विकलांगों और अन्य श्रेणियों को भी किराए में सब्सिडी दी जाती है। ये सभी सुविधाएं निगम की आय को प्रभावित कर रही हैं और घाटे की स्थिति को और गंभीर बना रही हैं।
पिछले दो वर्षों में HRTC पर वित्तीय बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। निगम के लोन और ओवरड्राफ्ट में भी इजाफा हुआ है, जिससे इसे वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में कठिनाई हो रही है।
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31 मार्च 2024 तक निगम द्वारा राज्य सरकार को दिए जाने वाले ब्याज की राशि ही 31 करोड़ रुपए हो चुकी थी। वहीं, सरकार से अब तक 733 करोड़ रुपए का अनुदान मिल चुका है, जो पिछले वर्षों की तुलना में अधिक है।
प्रदेश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की जरूरतों को पूरा करने के लिए निगम को अपने बेड़े में नई बसें शामिल करनी पड़ रही हैं। इसके तहत, HRTC 315 इलेक्ट्रिक बसें, 250 डीजल बसें, 20 से अधिक वोल्वो बसें और लगभग 150 टैंपो ट्रैवलर खरीदने की योजना बना रहा है। हालांकि, इन नई बसों की खरीद से निगम पर वित्तीय दबाव और बढ़ेगा।
HRTC की आय में भी गिरावट दर्ज की गई है। वर्ष 2022-23 में निगम ने 825 करोड़ रुपए की आय अर्जित की थी, जबकि 2023-24 में यह घटकर 782 करोड़ रुपए रह गई। वहीं, अनुदान पर निर्भरता तेजी से बढ़ी है।
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वर्ष 2022-23 में सरकार ने निगम को 537 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता दी थी, जो 2023-24 में बढ़कर 733 करोड़ रुपए हो गई। वेतन और पेंशन जैसी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भी सरकार के अनुदान की जरूरत पड़ रही है।
HRTC को अपनी वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए नई योजनाएं और उपाय अपनाने होंगे। इसमें गैर-लाभकारी रूटों का पुनर्मूल्यांकन, किराए की समीक्षा, डिजिटल टिकटिंग सिस्टम को बढ़ावा देना और व्यावसायिक मॉडल में बदलाव शामिल हो सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, निगम को सरकारी अनुदानों पर पूरी तरह निर्भर रहने के बजाय स्व-निर्भरता की दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है। यदि इस दिशा में सार्थक प्रयास नहीं किए गए, तो भविष्य में हिमाचल प्रदेश की सार्वजनिक परिवहन सेवाओं पर संकट गहरा सकता है।