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November 14, 2025

HRTC पेंशनरों ने सुक्खू सरकार को दी सीधी चेतावनी, बीवी-बच्चों संग सड़क पर उतर करेंगे...

कर्मचारियों-पेंशनरों को लंबे समय से बकाया पड़े भत्तों का नहीं हो रहा भुगतान

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HRTC PENSIONERS CM SUKHU MUKESH AGNIHOTRI

शिमला। हिमाचल प्रदेश में HRTC पेंशनरों की नाराजगी अब उबाल पर पहुंच गई है। पिछले साल अक्टूबर में HRTC के गोल्डन जुबली समारोह के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से निगम को 109 करोड़ रुपये जारी करने की घोषणा की गई थी।

HRTC पेंशनरों की नाराजगी

दावा किया गया था कि इस राशि से HRTC के वित्तीय हालात सुधरेंगे और कर्मचारियों-पेंशनरों को लंबे समय से बकाया पड़े भत्तों का भुगतान किया जाएगा। लेकिन लगभग एक साल बीत जाने के बावजूद यह घोषणा आज भी कागजों में ही अटकी हुई है।

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HRTC कर्मचारियों का कहना है कि जब भी वे उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री से इस मुद्दे पर सवाल करते हैं, तो उन्हें यही जवाब मिलता है कि घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी और वही इस पर अंतिम निर्णय लेंगे।

हक ना मिलने से परेशान

कर्मचारियों को अब लगने लगा है कि सरकार के शीर्ष नेतृत्व में तालमेल की कमी का खामियाजा निगम के हजारों सेवानिवृत्त कर्मचारी झेल रहे हैं, जिनकी उम्र ढल चुकी है और जिन्हें इलाज तथा रोजमर्रा की जरूरतों के लिए समय पर पेंशन व भत्तों की सख्त जरूरत होती है।

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गूंजा पेंशनरों का दर्द

कुल्लू मुख्यालय ढालपुर के देव सदन में पथ परिवहन पेंशनर्स कल्याण संगठन हिमाचल प्रदेश की राज्य परिषद की बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रदेशभर के पेंशनरों ने अपनी समस्याएँ खुलकर रखीं।

1,200 करोड़ के भत्ते लंबित

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष देवराज ठाकुर ने कहा कि HRTC के 8,500 सेवानिवृत्त कर्मचारियों के 1,200 करोड़ रुपये के विभिन्न देय भत्ते वर्षों से लंबित हैं। उन्होंने बताया कि जब भी सरकार से इस बारे में बातचीत की जाती है, तो पेंशनरों को आश्वासन के अलावा कुछ हासिल नहीं होता।

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परिवार संग करेंगे प्रदर्शन

इस बढ़ती निराशा को देखते हुए संगठन ने फैसला लिया है कि 21 नवंबर को शिमला में बड़े स्तर पर सरकार के खिलाफ परिवार संग प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा पंचायत स्तर से लेकर विधानसभा क्षेत्र तक जागरूकता अभियान चलाकर सरकार की उपेक्षा के खिलाफ माहौल बनाया जाएगा।

“आत्महत्या पर मजबूर कर रही सरकार"

संगठन अध्यक्ष ने बताया कि सिर्फ मेडिकल बिलों में ही लगभग 9 करोड़ रुपये लंबित पड़े हैं, जबकि डीए की किश्तें भी जारी नहीं की जा रहीं। उन्होंने भावुक होते हुए कहा कि समय पर न पेंशन मिल रही है, न भत्ते, और न ही चिकित्सा सुविधा का भुगतान। ऐसी स्थिति में कई बुज़ुर्ग पेंशनर मानसिक तनाव में हैं और निराश होकर आत्महत्या तक करने की बात कर रहे हैं।

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कार्यरत कर्मचारी भी परेशान

बैठक में यह भी सामने आया कि केवल पेंशनर ही नहीं, बल्कि वर्तमान में सेवा दे रहे कर्मचारी भी सरकार की उपेक्षा का सामना कर रहे हैं। लंबे समय से लंबित पड़े भत्ते न मिलने से उनका मनोबल टूट रहा है और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें भी यही संकट झेलना पड़ रहा है।

खत्म हो चुकी है धैर्य की सीमा

देवराज ठाकुर ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो प्रदेशभर के हजारों पेंशनर सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने के लिए तैयार हैं। संगठन ने कहा कि अब धैर्य की सीमा खत्म हो चुकी है और उनकी लड़ाई सड़क से लेकर न्यायालय तक हर जगह जारी रहेगी।

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