#अव्यवस्था
April 16, 2025
ई-बसों के ऑर्डर देकर फंसी HRTC, सप्लाई में देरी की भरपाई अब डीजल बसों से होगी
8 महीने तक शिमलावासी झेलेंगे धुआं
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शिमला। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (HRTC) की बूढ़ी हो चुकीं बसों के बदले 297 ई-बसों की खरीद का ऑर्डर देकर निगम फंस गया है। सप्लायर कंपनी ने इन बसों की डिलीवरी में 8 महीने की मोहलत मांगी है। इसका मतलब यह कि ये बसें दिसंबर या अगली जनवरी से पहले नहीं आ पाएंगी। HRTC इसकी भरपाई 250 डीजल बसों से करेगा और शिमलावासियों को 8 महीने तक इनका धुआं झेलना पड़ेगा।
ई-बसों की सप्लायर कंपनियों की दलील है कि उनके पास बसें ही नहीं हैं। ई-बसों के मुकाबले HRTC को डीजल बसों की डिलीवरी जल्दी मिल रही हैं। नई डीजल बसें मई 2025 तक निगम के बेड़े में आने लगेंगी।
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वहीं, HRTC के बेड़े में अभी करीब 150 बसें ऐसी हैं, जो 15 साल पुरानी हो चुकी हैं। इसके अलावा करीब 4 दर्जन बसें भी 12 साल पुरानी हैं और इनका माइलेज डेड है। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार ने राज्य को ग्रीन बनाने का मंसूबा पाला हुआ है और ई-बसों की खरीदी इसीलिए की जा रही है, ताकि प्रदूषण कम हो।
लेकिन HRTC ने सरकार की मंशा के उलट डीजल बसों को प्राथमिकता देना शुरू किया है। बूढ़ी बसों को बेड़े से हटाने के लिए HRTC प्रबंधन ने डीजल बसों की खरीद के टेंडर को फिर बदला है।
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अब HRTC का बोर्ड बदले हुए टेंडर को मंजूरी देगा और उसके पास ही बसों की खरीद शुरू होगी। इन बसों की आमद जल्दी इसलिए होगी, क्योंकि ई-बसों के मुाकबले कंपनियों के पास डीजल बसें पहले से तैयार रहती हैं।
ई-बसों की कीमत प्रति बस 1.71 करोड़ रुपए की होगी, यानी डीजल बसों से महंगी। ये एक बार चार्ज करने पर 180 किलोमीटर तक दौड़ेंगी। इन बसों का मेंटेनेंस भी सप्लायर कंपनी 12 साल तक करेगी।
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इसीलिए बसों की कीमत डीजल बसों के मुकाबले ज्यादा है। पहले चरण में 100 ई-बसें आनी है। HRTC ने पिछली बार ई-बसों की खरीद करते समय सालाना मेंटेनेंस की शर्त नहीं रखी थी, इसीलिए कई ई-बसें अलग शहरों में मरम्मत के लिए खड़ी हैं। शिमला में ही ऐसी 10 बसें खड़ी हैं, क्योंकि इनके पुर्जे विदेश से मंगवाने पड़ रहे हैं।