#अव्यवस्था
July 9, 2025
सुक्खू सरकार का एक और कारनामा, 14 सरकारी होटलों को प्राइवेट करने का लिया फैसला
प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने जारी किए ऑर्डर; ऑपरेशन-मेंटिनेंस अब निगम के हाथ नहीं
शेयर करें:
शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार ने पर्यटन विकास निगम (HPTDC) के अंतर्गत आने वाले 14 घाटे में चल रहे होटलों को अब निजी हाथों में सौंपने का बड़ा निर्णय लिया है। यह कदम ‘ऑपरेशन और मेंटेनेंस मॉडल’ के तहत उठाया गया है, जिसके तहत ये होटल सरकार के स्वामित्व में तो रहेंगे, लेकिन इनका संचालन और रखरखाव निजी कंपनियों के हवाले होगा।
इस फैसले से जहां सरकार को होटलों के घाटे से राहत मिलने की उम्मीद है, वहीं निगम कर्मचारियों में जबरदस्त असंतोष देखने को मिल रहा है। इन कर्मचारियों के भविष्य को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि निजीकरण के बाद उनकी सेवा शर्तें क्या होंगी।
पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव ने इस बारे में HPTDC के प्रबंध निदेशक को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि तीन महीने के भीतर इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जाए। आदेशों के मुताबिक, जिन होटलों को प्राइवेट ऑपरेटर को सौंपा जाएगा, वे लंबे समय से नुकसान झेल रहे हैं और सरकार द्वारा उन्हें बचाने के लिए कई प्रयास किए जा चुके हैं, जो सफल नहीं हो पाए।
सरकार का यह फैसला ऐसे समय आया है जब पर्यटन निगम के राजस्व में हाल ही में कुछ सुधार देखा गया था। ऐसे में कर्मचारियों को यह निर्णय अनुचित और जल्दबाजी में लिया गया कदम प्रतीत हो रहा है।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, 28 जून को आयोजित राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ही यह फैसला ले लिया गया था कि घाटे में चल रहे 14 होटलों को ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस मॉडल के जरिए निजी हाथों को सौंपा जाएगा। यह होटल करोड़ों रुपये की लागत से बनाए गए थे, लेकिन इनके लगातार नुकसान में रहने से राज्य सरकार को अब यह कदम उठाना पड़ा है।
पर्यटन निगम कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारी राज कुमार ने सरकार के इस कदम का विरोध करते हुए कहा कि कर्मचारी जल्द ही इसकी जमकर मुखालफत करेंगे। उन्होंने कहा कि यूनियन अभी सरकार के आदेशों की गहराई से स्टडी कर रही है, और इसके बाद आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। उनका साफ कहना है कि सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में सौंपना किसी भी सूरत में मंजूर नहीं किया जाएगा।
HPTDC के प्रबंध निदेशक राजीव ने पुष्टि करते हुए कहा कि यह फैसला राज्य मंत्रिमंडल द्वारा लिया गया है। उन्होंने कहा कि अभी तक यह तय नहीं है कि इन होटलों को किस तरीके से निजी कंपनियों को सौंपा जाएगा और कर्मचारियों की सेवाओं का क्या स्वरूप रहेगा, इस पर भी जल्द निर्णय लिया जाएगा।
गौरतलब है कि इससे पहले नवंबर 2023 में हिमाचल हाईकोर्ट भी पर्यटन निगम के 18 घाटे में चल रहे होटलों को बंद करने के आदेश दे चुका था। कोर्ट ने इन होटलों को ‘सफेद हाथी’ की संज्ञा दी थी और कहा था कि ये राज्य के संसाधनों पर बोझ बन चुके हैं। हालांकि बाद में निगम द्वारा दायर रिव्यू पिटीशन पर कोर्ट ने अपने पहले के आदेश को पलट दिया था।
अब देखना यह होगा कि सरकार के इस फैसले पर आगे क्या दिशा मिलती है, क्योंकि जहां एक ओर घाटे से उबरने की नीति को आगे बढ़ाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर कर्मचारी और यूनियनें सरकार के फैसले को चुनौती देने की तैयारी में हैं। आने वाले दिन HPTDC और राज्य के पर्यटन तंत्र के लिए बेहद अहम साबित हो सकते हैं।