#विविध
July 9, 2025
हिमाचल : रात को घर पर बात करते-करते बंद हो गया फोन, अगली सुबह बाढ़ में बहे बच्चे, बीवी और माता-पिता
पिता को किया था घर आने से मना- इसके बाद
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मंडी। "पापा, आप अपना ख्याल रखना... यहां बहुत बारिश हो रही है... घर मत आना। बस इतने ही शब्द थे जो मुकेश अपने बच्चों की आवाज में आखिरी बार सुन पाया। अगली सुबह जब वह घर लौटा, तो वहां न घर था, न परिवार। सबकुछ बाढ़ अपने साथ बहा ले गई थी।
यह दर्दनाक घटना है मंडी जिला के सराज क्षेत्र की पखरैर पंचायत की, जहां लांब गांव का रहने वाला मुकेश पंजाब के मलेरकोटला में गोभी की फसल लेकर अपने मालिक की गाड़ी में गया हुआ था। 30 जून को जब वह लौट रहा था, तब बारिश जोरों पर थी। थुनाग पहुंचते ही रास्ता बंद मिला, आगे जाना नामुमकिन था। मुकेश ने चाचा के पास वहीं रुकने का फैसला किया।
रात को जब उसकी घर पर बात हुई तो पत्नी भुवनेश्वरी ने कहा "ख्याल रखना", और पीछे से बेटे सुर्याशं और बेटी उर्वशी की आवाज आई "पापा, घर मत आना, यहां बहुत तेज बारिश हो रही है।" इसके बाद फोन कट गया और फिर कभी नहीं जुड़ पाया।
रातभर आसमान से कहर बरसता रहा, दिल बेचैन होता रहा। सुबह होते ही मुकेश ने पांच किलोमीटर पैदल चलकर जैसे-तैसे गांव पहुंचने की कोशिश की। लेकिन जब सुबह करीब नौ बजे वह गांव पहुंचा- तो उसने देखा कि वहां सबकुछ खत्म हो चुका था।
बाढ़ में मुकेश के पिता गोकुल चंद, माता ढोलमा देवी, पत्नी भुवनेश्वरी, नौ साल का बेटा सुर्याशं और तीन साल की बेटी उर्वशी बह गए थे। इस आपदा के बाद मुकेश खामोश हो गया है। उसके पास आंसुओं के सिवा कुछ नहीं बचा है।
पखरैर पंचायत में इस त्रासदी में कुल 11 लोग बहे, जिनमें से अकेले मुकेश के परिवार के ही 5 सदस्य शामिल हैं। वह वहीं घटनास्थल पर बेहोश होकर गिर पड़ा। आसपास के लोगों ने उसे संभाला और सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। अब वह अकेला रह गया है- पूरी दुनिया जैसे एक झटके में बदल गई हो।
घटना को एक सप्ताह से ज्यादा बीत चुका है। मुकेश कहता है कि प्रशासन की ओर से केवल पटवारी मेरे पास आया। नेताओं में सिर्फ नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आकर हाल पूछा। सरकार ने राशन तो दे दिया, पर मेरे पास उसे पकाने के लिए एक बर्तन तक नहीं बचा।