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March 25, 2025

अब नहीं होगी सुक्खू कैबिनेट की बैठक! यहां जानें क्यों टली मीटिंग

हिमाचल कैबिनेट बैठक टली, बाई सर्कुलेशन मंजूर हुए बिल

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शिमला। हिमाचल प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक, जो विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सोमवार को प्रस्तावित थी, एक बार फिर टाल दी गई। बजट पर कटौती प्रस्तावों के चलते कैबिनेट के लिए समय नहीं निकाल पाया, जिसके कारण इसे स्थगित कर दिया गया। हालांकि, सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान पेश किए जाने वाले दो अहम विधेयकों को बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी है।

स्टांप ड्यूटी में बढ़ोतरी

राजस्व विभाग के एक विधेयक में धारा 118 के तहत खरीदी जाने वाली भूमि पर लगने वाली स्टांप ड्यूटी को छह प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है।

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सरकार इस संशोधन के जरिए अपनी राजस्व आय को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। हालांकि, इस संशोधन को पहले ही एक अध्यादेश के माध्यम से लागू किया जा चुका है, लेकिन इसे कानूनी रूप देने के लिए विधानसभा में पारित करना आवश्यक होगा।

गृह विभाग का ड्रग्स नियंत्रण विधेयक

गृह विभाग द्वारा तैयार किए गए ‘हिमाचल प्रदेश ड्रग्स एंड कंट्रोल्ड सब्सटेंस प्रीवेंशन, डिएडिक्शन एंड रिहैबिलिटेशन बिल-2025’ को भी मंत्रिमंडल ने बाई सर्कुलेशन मंजूरी दे दी है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य नशीले पदार्थों की तस्करी और नशे के शिकार व्यक्तियों के बीच स्पष्ट अंतर स्थापित करना है।

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राज्य सरकार पहले ही केंद्र सरकार के एनडीपीएस एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव भेज चुकी है, लेकिन उसे अब तक स्वीकृति नहीं मिली है। इसी कारण सरकार अब राज्य स्तर पर एक नया कानून लाने की तैयारी कर रही है, ताकि ड्रग्स के नेटवर्क को तोड़ा जा सके और नशे की लत से प्रभावित लोगों को पुनर्वास की सुविधा मिल सके।

एन्वायरनमेंटल सेस लागू करने की योजना

इसके अलावा, राज्य सरकार बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने के अपने पूर्व प्रस्ताव को बदलने की तैयारी में है। पहले लगाए गए वाटर सेस को हिमाचल हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था, और मामला अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अब सरकार इस कर की जगह एन्वायरनमेंटल सेस लागू करने पर विचार कर रही है।

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साथ ही, लैंड रेवेन्यू एक्ट में संशोधन कर ‘स्पेशल असेसमेंट’ के जरिए भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क लगाने की योजना भी बनाई जा रही है। यह शुल्क सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर लागू होगा, और सरकार को यह अधिकार होगा कि वह किन्हीं विशेष मामलों को इस दायरे से बाहर रखे। विधि विभाग द्वारा इस मसौदे को तैयार किया गया है, लेकिन इसे अभी तक अंतिम स्वीकृति नहीं मिली है।

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