#अव्यवस्था
July 18, 2025
सुक्खू सरकार पर अफसरशाही भारी, कैबिनेट मंत्री के निर्देश पर भी बंद नहीं हुआ शराब ठेका
मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने चेवड़ी पंचायत में खुले ठेके को बंद करने के दिए थे निर्देश
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शिमला। हिमाचल की राजधानी शिमला के जिला के बसंतपुर क्षेत्र की चेवड़ी पंचायत में शराब के ठेके को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह द्वारा ठेका बंद करने के स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे स्थानीय लोगों में भारी नाराजगी है। ग्रामीणों का कहना है कि मंत्री के आदेशों को खुलेआम ठेंगा दिखाया जा रहा है, जिससे प्रशासनिक सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
बता दें कि चेवड़ी पंचायत में शराब ठेका खोलने का लंबे समय से विरोध चल रहा है। पंचायत प्रतिनिधि इसको लेकर अपना सामूहिक इस्तीफा भी दे चुके हैं। जब यह मामला काफी बढ़ गया तो ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने एक्साइज़ कमिश्नर को सीधे आदेश जारी किए थे। उन्होंने फोन कर एक्साइज़ कमिश्नर को चेवड़ी पंचायत में खुले ठेके को बंद करने को कहा था, लेकिन उनके आदेशों के बाद भी यह ठेका बंद नहीं हुआ।
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पंचायत प्रधान छविंदर सिंह पाल ने तीखे शब्दों में कहा कि जब एक कैबिनेट मंत्री का आदेश भी ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं हो पा रहा है, तो यह स्पष्ट करता है कि प्रदेश में प्रशासनिक अमला किस हद तक निरंकुश हो चुका है। उन्होंने कहा कि पंचायत के लोगों ने पहले ही ठेका खुलने का विरोध किया था और मंत्री के हस्तक्षेप के बाद आंदोलन को रोक दिया था, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई न होने से ग्रामीणों को लगने लगा है कि उनकी आवाज़ को अनसुना किया जा रहा है।
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चेवड़ी पंचायत पहले ही नशे के खिलाफ कड़े नियम बना चुकी है और पंचायत के सभी सदस्य ठेके के विरोध में सामूहिक इस्तीफा भी दे चुके हैं। प्रधान छविंदर सिंह पाल ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही शराब ठेका बंद नहीं हुआ तो ग्रामीण उग्र आंदोलन छेड़ेंगे।
इस पूरे मामले में एक बड़ा राजनीतिक पहलू भी जुड़ गया है। यह कोई पहली बार नहीं है जब राज्य सरकार के आदेशों को प्रशासन ने दरकिनार किया हो। इससे पहले भी मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की प्रशासन पर कमजोर पकड़ को लेकर विपक्ष लगातार हमलावर रहा है। अब कैबिनेट मंत्री के आदेश को नजरअंदाज़ करना इस बहस को और तेज कर सकता है।
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ग्रामीणों का सवाल साफ है कि जब कैबिनेट मंत्री के आदेश की भी कोई अहमियत नहीं रही, तो आम जनता की सुनवाई कैसे होगी? अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री सुक्खू इस पूरे मसले में क्या रुख अपनाते हैं और क्या प्रशासन पर लगाम कसने की कोई ठोस पहल करते हैं या नहीं।