#अव्यवस्था
November 5, 2025
हिमाचल के ये पांच जिले बने नशे के अड्डे- चिट्टे के जाल में फंस रहे युवा, पुलिस ने छेड़ी मुहिम
15 नवंबर को शिमला रिज से वॉकथॉन के साथ अभियान की शुरुआत
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शिमला। हिमाचल प्रदेश में नशे के मामलों में आ रही तेजी ने हर किसी को चिंता में डाल दिया है। खास तौर पर पुलिस प्रशासन को, जो लगातार चिट्टा तस्करों को जेल के भीतर भेजने के लिए प्रयासरत है। इसी कड़ी में प्रदेश से आए चिट्टे के नए आंकड़े ने हर किसी को डरा कर रख दिया है। ये आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश में चिट्टे का प्रकोप कितना तेजी से फैल रहा है।
पुलिस मुख्यालय ने बताया कि चिट्टा युवा वर्ग में तेजी से फैल रहा है क्योंकि यह सस्ता और आसानी से उपलब्ध है। शिमला, कांगड़ा, ऊना, सोलन और मंडी जिलों में मामले अधिक दर्ज हुए हैं। वर्ष 2024-25 में राज्य में एनडीपीएस अधिनियम के तहत लगभग 1,300 से अधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें अधिकांश चिट्टे से जुड़े थे। पुलिस ने कहा कि तस्करों और उनके नेटवर्क को तोड़ने के लिए लगातार छापेमारी और अंतर-ज़िला आपरेशन तेज किए जा रहे हैं।
CM सुखविंदर सिंह सुक्खू के निर्देश परप्रदेश पुलिस ने राज्यव्यापी नशा मुक्ति अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। पुलिस महानिदेशक अशोक तिवारी ने कहा कि अभियान का संदेश है नशा छोड़ो, जीवन जोड़ो और इसका उद्देश्य खासकर सस्ते व आसानी से मिलने वाले सिंथेटिक नशों, विशेषकर चिट्टा के प्रसार को रोकना है।
अभियान का औपचारिक शुभारंभ 15 नवंबर को प्रातः 11 बजे शिमला के रिज से होगा। रिज से विधानसभा और चौड़ा मैदान तक वॉकथॉन आयोजित किया जाएगा, जिसमें मंत्रिमंडल के सदस्य, विधायक, प्रशासनिक अधिकारी, एनसीसी, एनएसएस, एनजीओ और बड़ी संख्या में नागरिक हिस्सा लेंगे।
राज्य सतर्कता ब्यूरो के एएसपी नरवीर सिंह राठौर ने स्पष्ट किया कि चिट्टा रखना, बेचना या सेवन करना एनडीपीएस अधिनियम के तहत गंभीर अपराध है। उन्होंने बताया कि छोटी मात्रा (5 ग्राम तक) के लिए एक वर्ष तक की कैद या 10,000 रुपये जुर्माना हो सकता है; मध्यम मात्रा के लिए दस वर्ष तक की कैद या एक लाख रुपये जुर्माना; और व्यावसायिक मात्रा (250 ग्राम से अधिक) के लिए दस से बीस वर्ष की कैद व एक-दो लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि यह अभियान केवल सज़ा-ए-एक्शन नहीं, बल्कि समाजिक बदलाओं और जागरूकता का मिश्रण होगा। स्कूलों, कॉलेजों और पंचायतों में नशा विरोधी सेमिनार, परामर्श शिविर और पुनर्वास सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी। साथ ही स्थानीय एनजीओ और सामुदायिक समूहों के साथ मिलकर युवा केंद्रित हस्तक्षेप कार्यक्रम चलाए जाएँगे।