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May 31, 2025

हिमाचल: 2 गायनेकोलॉजिस्ट होने के बाद भी रेफर कर दी गर्भवती, नर्स ने एंबुलेंस में करवा दी डिलीवरी

सुक्खू सरकार के दावों की पोल खोलती स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल

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Kinnaur Health News

किन्नौर। हिमाचल प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं लगातार सवालों के घेरे में हैं। एक ओर प्रदेश की सुक्खू सरकार स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के बड़े बड़े दावे करती है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। कहीं अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है, तो कहीं पर्याप्त मेडिकल स्टाफ नहीं। बड़ी बात यह है कि जिन कुछ अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद हैं, वह इलाज से परहेज कर रहे हैं और मरीजों के लिए मात्र रेफरल सेंटर बन गए हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला हिमाचल के किन्नौर जिला से सामने आया है।

अस्पताल में मौजूद थे दो दो गायनेकोलॉजिस्ट

किन्नौर जिला के रिकांगपिओ अस्पताल में दो दो गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर मौजूद हैं। बावजूद इसके दर्द से कराहती डिलीवरी के लिए अस्पताल पहुंची एक गर्भवती महिला को इन डॉक्टरों ने रामपुर रेफर कर दिया। लेकिन हैरानी की बात यह है कि 108 एंबुलेंस में रामपुर ले जाई जा रही गर्भवती महिला ने रास्ते में ही बच्चे को जन्म दे दिया। महिला की एंबुलेंस में मौजूद ईएमटी नर्स प्रियंका नेगी ने सफलता पूर्वक डिलीवरी करवाई। 

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बड़ा सवाल 

अब सवाल यह उठता है कि अगर एंबुलेंस में एक नर्स गर्भवती महिला की डिलीवरी करवा सकती है, तो रिकांगपिओ अस्पताल में मौजूद दो दो गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टरों ने उसे रामपुर अस्पताल क्यों रेफर कर दिया। इस सवाल का जवाब इस गर्भवती महिला के साथ साथ उसके परिजन और अन्य जनता भी मांग रही है।

दो गायनेकोलॉजिस्ट ने रामपुर रेफर की गर्भवती

दरअसल रिकांगपिओ अस्पताल में प्रसव पीड़ा से तड़पती एक गर्भवती महिला डिलीवरी के लिए पहुंची थी। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि अस्पताल में दो गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर मौजूद थे, फिर भी महिला को इलाज देने के बजाय रामपुर के लिए रेफर कर दिया गया। यह निर्णय न केवल गैरजिम्मेदाराना था, बल्कि महिला और उसके अजन्मे बच्चे की जान को भी खतरे में डालने वाला साबित हो सकता था।

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नर्स ने एंबुलेंस में करवाया प्रसव

महिला को जब 108 एंबुलेंस में रामपुर अस्पताल ले जाया जा रहा था, तो बीच रास्ते करछम डैम के पास उसकी प्रसव पीड़ा अचानक तेज हो गई। इस विकट परिस्थिति में महिला ने एंबुलेंस में ही एक बच्ची को जन्म दिया। यह प्रसव 108 सेवा में तैनात ईएमटी नर्स प्रियंका नेगी की मदद से सफलतापूर्वक कराया गया।

एंबुलेंस स्टाफ ने निभाई असली ज़िम्मेदारी

डिलीवरी के वक्त एंबुलेंस में नर्स प्रियंका नेगी के अलावा पायलट देवानंद नेगी, अटेंडर राजकुमार नेगी और स्टाफ सदस्य शबनम व राजकुमारी भी मौजूद थे। इन सभी ने आपसी समन्वय और तत्परता से न केवल मां और नवजात की जान बचाईए बल्कि यह भी साबित किया कि जब सरकारी डॉक्टर पीछे हटते हैं, तब ये फ्रंटलाइन वर्कर ही सच्चे रक्षक बनते हैं।

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 नर्स प्रियंका नेगी ने उठाए सवाल

नर्स प्रियंका नेगी ने इस पूरी घटना को लेकर स्पष्ट आरोप लगाया कि जब रिकांगपिओ अस्पताल में दो गायनेकोलॉजिस्ट मौजूद थे, तो फिर महिला को क्यों रेफर किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि 12.12 घंटे की कठिन ड्यूटी के बावजूद 108 एंबुलेंस सेवा के कर्मचारी बेहद कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं। बावजूद इसके, वे बिना किसी शिकायत के अपनी ज़िम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभा रहे हैं।

 

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सरकार की बेरुखी और जमीनी हकीकत

यह पहली बार नहीं है जब हिमाचल प्रदेश में किसी महिला की डिलीवरी एंबुलेंस में हुई हो। पहले भी कई बार ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जो बताती हैं कि राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था कितनी खोखली हो चुकी है। नर्सों और पायलटों को नियमित वेतन वृद्धि तक नहीं दी जाती, जबकि दूसरी ओर विशेषज्ञ डॉक्टर सुविधाओं के होते हुए भी अपनी जिम्मेदारी निभाने से कतराते हैं।

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