#राजनीति
May 31, 2025
CM- डिप्टी CM से रजनी पाटिल ने की देर शाम मीटिंग, बंद कमरे में इन मुद्दों पर हुई अहम चर्चा
प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा, जून के दूसरे हफ्ते बड़ा फैसला संभव
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शिमला। हिमाचल कांग्रेस संगठन को लेकर चल रही अनिश्चितता अब निर्णायक दौर में पहुंचती दिख रही है। प्रदेश में पिछले सात महीनों से कांग्रेस का कोई प्रभावी संगठन नहीं है। केवल प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के भरोसे पार्टी की गाड़ी चल रही है, जबकि छह महीने बाद पंचायतीराज चुनाव और 2027 में विधानसभा चुनाव की चुनौती सामने है। ऐसे में पार्टी के अंदर चल रही धड़ेबंदी अब खुलकर सामने आ रही है।
दिल्ली दरबार में टिकट से पहले संगठन की दावेदारी
प्रदेश में कांग्रेस का हर बड़ा धड़ा संगठन की कमान अपने पास देखना चाहता है। पार्टी में बड़े नेता लगातार दिल्ली में आलाकमान से मुलाकात कर रहे हैं ताकि संगठन में अपने वफादारों की नियुक्ति करवा सकें। यही कारण है कि अब संगठनात्मक नियुक्तियां और प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मंथन तेज हो गया है।
जयहिंद सभा बनी अंदरूनी मंथन की वजह
शिमला में आयोजित कांग्रेस की जयहिंद सभा में प्रदेश प्रभारी रजनी पाटिल भी पहुंचीं। सभा के बाद देर शाम पीटरहॉफ में उन्होंने बंद कमरे में कई वरिष्ठ नेताओं से अलग-अलग बैठकें कीं और फीडबैक लिया। पार्टी सूत्रों की मानें तो रजनी पाटिल ने सरकार और संगठन के तालमेल पर भी चर्चा की है ताकि आने वाले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस बेहतर रणनीति के साथ उतर सके।
प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने पर भी मांगी राय
फीडबैक के दौरान कई नेताओं ने वर्तमान अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के नेतृत्व को जारी रखने की पैरवी की, वहीं कुछ नेताओं ने किसी युवा चेहरे को अध्यक्ष पद सौंपे जाने की बात रखी। इस मुद्दे पर फाइनल फैसला जून के दूसरे सप्ताह में लिया जा सकता है।
सीएम, डिप्टी सीएम से भी हुई बंद कमरे में बैठक
प्रभारी रजनी पाटिल के साथ सह प्रभारी चेतन चौहान और विदित चौधरी भी मीटिंग्स में शामिल रहे। सबसे पहले मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, फिर प्रतिभा सिंह और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री से मुलाकात कर रजनी पाटिल ने संगठन को लेकर उनकी राय जानी। इसके बाद उन्होंने कुछ मंत्रियों और विधायकों से भी एक-एक कर चर्चा की।
क्या कहती है जमीनी हकीकत?
कांग्रेस का संगठन 6 नवंबर 2024 से जिला और ब्लॉक स्तर पर भंग है
प्रतिभा सिंह के भरोसे चल रहा पूरा संगठनात्मक ढांचा
युवा चेहरों और अनुभवी नेताओं में जारी रस्साकशी
आलाकमान पर दबाव कि सरकार और संगठन में संतुलन बनाया जाए