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December 6, 2025
सावधान! हिमाचल की अर्थव्यवस्था ‘रेड जोन’ में: आय घटी, खर्चा बेकाबू- कर्ज का बोझ दोगुना
हिमाचल की अर्थव्यवस्था पर बढ़ा दबाव
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शिमला। हिमाचल की अर्थव्यवस्था इस समय एक ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां आय घट रही है और खर्चा तेज़ी से बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाओं से लेकर बढ़ते वेतन-पेंशन और कर्ज के ब्याज तक, हर तरफ से दबाव इतना बढ़ गया है कि सरकार का बजट अनुमान भी लड़खड़ा गया है। नई FRBM रिपोर्ट साफ बताती है कि हिमाचल की आर्थिक हालत पहले से ज्यादा तंग हो चुकी है और इस बार राजस्व में ही 1700 करोड़ से ज्यादा की कमी दर्ज होने जा रही है।
FRBM की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य को इस वित्त वर्ष में उम्मीद से 1726 करोड़ रुपए कम राजस्व मिलेगा। बजट में 16101 करोड़ रुपए आय का अनुमान था, लेकिन अब यह घटकर 14374 करोड़ रह जाएगा। आय घटने के साथ-साथ खर्चा बढ़ने से सरकार की आर्थिक चुनौतियां और गहरी हो गई हैं।
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राज्य का सबसे बड़ा खर्च सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर हो रहा है। इस साल वेतन पर करीब 13837 करोड़ रुपए और पेंशन पर 10850 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। यह खर्च साल-दर-साल बढ़ रहा है, जिससे बजट पर भारी असर पड़ा है।
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उधर, सब्सिडी पर भी सरकार का खर्च काफी बढ़ गया है। जहां बजट में 1420 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था, वहीं अब यह बढ़कर 2508 करोड़ रुपए पहुंचने का अनुमान है। यानी सरकार को लगभग 1088 करोड़ रुपए ज्यादा खर्च करना पड़ेगा। इसके साथ ही कर्ज के ब्याज पर भी सरकार को 6738 करोड़ रुपए देने होंगे, जो आर्थिक बोझ को और बढ़ाता है।
हालांकि, केंद्र प्रायोजित योजनाओं से हिमाचल को राहत जरूर मिली है। इस साल राज्य को केंद्र की योजनाओं और अनुदानों से 6925 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है, जो बजट अनुमान से 1662 करोड़ रुपए ज्यादा है। NDRF, मनरेगा, PM आवास योजना, PMGSY जैसी योजनाओं के अनुदान इसमें शामिल हैं।
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इसके बावजूद हिमाचल का राजस्व घाटा 7434 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। लगातार हो रही प्राकृतिक आपदाओं बारिश, भूस्खलन और नुकसान ने भी सरकारी खजाने पर भारी दबाव डाला है। दूसरी तरफ, उत्पादन शुल्क और GST से होने वाली आय में कमी ने हालात को और खराब किया है।
इन सब कारणों से राज्य का राजकोषीय घाटा भी बढ़कर 12114 करोड़ रुपए पहुंचने वाला है, जबकि बजट में यह 10337 करोड़ रुपए माना गया था। यानी घाटे में करीब 1776 करोड़ की और बढ़ोतरी होगी, जो राज्य की GDP का लगभग 4.74% बनती है। कुल मिलाकर, हिमाचल की वित्तीय स्थिति इस समय कठिन दौर से गुजर रही है, आय कम, खर्च ज्यादा और प्राकृतिक आपदाओं ने परेशानियों को और बढ़ा दिया है।