#अव्यवस्था
October 5, 2025
हिमाचल में सरकारी अस्पताल के हाल बुरे, मोबइल पर फोटो खींच दी जा रही X-RAY रिपोर्ट
बिना स्मार्टफोन के नहीं मिल रही X-RAY रिपोर्ट
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सोलन। स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल के गृह जिला सोलन के क्षेत्रीय अस्पताल से स्वास्थ्य सेवाओं की बेहद चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। अस्पताल में मरीजों को बीते करीब 15 दिनों से X-RAY रिपोर्ट फिल्म पर नहीं, बल्कि अपने मोबाइल फोन से फोटो खींचकर दी जा रही है।
कारण यह कि अस्पताल में X-RAY फिल्म की आपूर्ति बंद है। नतीजतन मरीज और डॉक्टर दोनों असुविधा झेल रहे हैं, जबकि इलाज की गुणवत्ता और रिपोर्ट की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार, सोलन के क्षेत्रीय अस्पताल में X-RAY सेवाओं का संचालन क्रस्ना कंपनी द्वारा किया जा रहा है। नियमों के अनुसार X-RAY करने से लेकर फिल्म पर रिपोर्ट देने तक की जिम्मेदारी इसी कंपनी की है।
जबकि, बीते 15 दिनों से कंपनी ने फिल्म की सप्लाई बंद कर दी है। इस वजह से जब किसी मरीज का X-RAY किया जाता है, तो तकनीशियन कंप्यूटर स्क्रीन पर रिपोर्ट दिखाते हैं और मरीज या तीमारदार से “मोबाइल से फोटो ले लो” कहा जाता है। जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है, उन्हें रिपोर्ट भी नहीं मिल पा रही। कई मरीज इन्हीं धुंधली मोबाइल तस्वीरों को डॉक्टरों को दिखाकर इलाज करवाने को मजबूर हैं।
मामले पर अस्पताल के एमएस डॉ. राकेश पंवर ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने बताया कि कंपनी को इस लापरवाही के लिए नोटिस जारी किया गया है और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक को पत्र लिखकर ठेका रद्द करने की सिफारिश की गई है।
डॉ. पंवर ने हैरानी जताई कि यह समस्या केवल सोलन अस्पताल में है, जबकि राज्य के अन्य जिलों में यही कंपनी X-RAY फिल्म पर रिपोर्ट दे रही है। उन्होंने कहा कि मरीजों की असुविधा को देखते हुए अस्पताल प्रशासन जल्द स्थिति सामान्य करने की कोशिश कर रहा है।
सूत्रों का कहना है कि कंपनी को स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई महीनों से भुगतान नहीं मिला, जिसके चलते उसने फिल्म की आपूर्ति रोक दी। अगर भुगतान में देरी है, तो यह विभागीय तंत्र की विफलता है। वहीं, यदि कंपनी ने अनुबंध का उल्लंघन किया है, तो कार्रवाई होनी चाहिए। सच्चाई तो यह है कि चाहे कंपनी की लापरवाही हो या विभाग की अनदेखी- दोनों की कीमत अब आम जनता चुका रही है।
अस्पताल आने वाले मरीज बताते हैं कि बिना फिल्म रिपोर्ट के डॉक्टर को दिखाना मुश्किल हो जाता है। मोबाइल स्क्रीन पर तस्वीर धुंधली होती है और X-RAY की बारीकियां स्पष्ट नहीं दिखतीं। डॉक्टर भी मान रहे हैं कि इस तरह की व्यवस्था से इलाज की सटीकता प्रभावित होती है। कई मरीजों को दोबारा X-RAY करवाने की नौबत भी आ रही है।