#अव्यवस्था
December 22, 2025
हिमाचल में बड़ा स्कैम! किसानों को स्टॉक खत्म बताकर पंजाब भेजी जा रही खाद, ब्लैक में हो रही बिक्री
हिमाचल के किसानों के हिस्से की खाद पंजाब भेजी जा रही है
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ऊना। हिमाचल प्रदेश में खेतों को खाद चाहिए, लेकिन गोदाम खाली बताए जा रहे हैं। किसान दिन-दिन भर लाइनों में खड़े हैं, बार-बार निराश लौट रहे हैं। वहीं, उसी रात उन्हीं गोदामों से यूरिया की बोरियां ट्रकों और पिकअप में भरकर पड़ोसी राज्य पंजाब रवाना हो रही हैं। सवाल सिर्फ खाद का नहीं, बल्कि उस सिस्टम का है जो किसानों की मजबूरी को मुनाफे में बदल रहा है।
ऊना जिले से सामने आई तस्वीरें और ग्रामीणों की गवाही इस बात की ओर इशारा कर रही हैं कि हिमाचल के किसानों के हिस्से की यूरिया खाद अवैध रूप से पंजाब भेजी जा रही है। दिन में गोदामों पर किसानों को यह कहकर लौटा दिया जाता है कि खाद उपलब्ध नहीं है, लेकिन रात के अंधेरे में वही यूरिया गाड़ियों में लाद दी जाती है।
इसी महीने प्रदेशभर में गेहूं की फसल के लिए करीब 3400 टन यूरिया भेजी गई। इसमें से अकेले ऊना जिले के लिए 850 टन की सप्लाई दर्ज है। नियमों के मुताबिक इस मात्रा के हिसाब से जिले के गोदामों में खाद की कमी नहीं होनी चाहिए थी। लेकिन हकीकत यह है कि किसान एक-एक बोरी के लिए भटक रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक 45 किलो की यूरिया बोरी, जिसकी सरकारी कीमत करीब 270 रुपये है, उसे गोदाम से अवैध रूप से लगभग 300 रुपये में उठवाया जा रहा है। ये बोरियां पिकअप वाहनों में भरकर देर रात या तड़के पंजाब भेजी जाती हैं, जहां वही बोरी 380 से 400 रुपये तक में बिक रही है। यही मुनाफा इस पूरे खेल की जड़ माना जा रहा है।
पंजाब में यूरिया और अन्य खादों की सप्लाई सीमित है। लंबे समय तक अत्यधिक रासायनिक खेती के कारण वहां की मिट्टी पर नियंत्रण लागू है। इसके बावजूद किसान महंगे दामों पर यूरिया खरीदने को मजबूर हैं। साथ ही, पंजाब में डिटर्जेंट, रेजिन, फार्मास्युटिकल और डीजल उत्सर्जन नियंत्रण जैसे उद्योगों में भी यूरिया का इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि वहां मांग ज्यादा और कीमत ऊंची है।
एक स्थानीय किसान ने बताया कि वह गेहूं की फसल के लिए खाद लेने गोदाम पहुंचा। संचालक ने स्टॉक खत्म होने की बात कह दी। लेकिन कुछ ही देर बाद उसी गोदाम से एक पिकअप गाड़ी खाद से लदी निकलती दिखाई दी। पूछने पर जवाब मिला कि ये पंजाब जा रही है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि-