#अव्यवस्था
July 5, 2025
25 हजार पेंशनर्स का 1100 करोड़ बकाया लंबित, सुक्खू सरकार से मिल रहे सिर्फ आश्वासन
हजारों बुजुर्ग अपनी बचत के लिए दर दर भटकने को मजबूर
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शिमला। हिमाचल प्रदेश के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लिए बुढ़ापा भारी आर्थिक संकट के साए में गुजर रहा है। राज्य की लगातार बिगड़ती आर्थिक स्थिति का सबसे बड़ा खामियाजा वे पेंशनर्स भुगत रहे हैं, जिन्होंने अपने जीवन के कीमती वर्ष सरकारी सेवा में गुजारे। प्रदेश सरकार के पास इन पेंशनर्स के करीब 1100 करोड़ रुपए की बकाया राशि वर्षों से लंबित है, जिससे हजारों बुजुर्ग कर्मचारी वित्तीय असुरक्षा और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन के अतिरिक्त महासचिव जगत सिंह नेगी ने रामपुर में कहा कि वर्ष 2016 से 2022 के बीच सेवानिवृत्त हुए करीब 25 हजार कर्मचारी इस सबसे बड़ी वित्तीय उपेक्षा का शिकार हैं। उन्होंने बताया कि इन कर्मचारियों को अभी तक कम्यूटेशन, ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट और सातवें वेतन आयोग के एरियर का भुगतान नहीं हुआ है।
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एसोसिएशन की ओर से विभिन्न स्तरों पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन और ज्ञापन सौंपने के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष आत्माराम शर्मा के नेतृत्व में पेंशनर्स ने कई जिलों में रैलियों का आयोजन किया और ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह राणा से भी इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। हालांकि जब प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात की, तो उन्हें केवल राज्य की खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देकर आश्वासन थमा दिया गया।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि 70 से 80 वर्ष की आयु के पेंशनर्स अपने मेडिकल बिलों के भुगतान के लिए भी सरकारी दया पर निर्भर हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रति कर्मचारी औसतन 18 से 20 लाख रुपए, जबकि अधिकारियों के 40 से 50 लाख रुपए तक के क्लेम सरकार के पास अटके पड़े हैं। ऐसे में कई बुजुर्ग इलाज न होने की स्थिति में घरों में असहाय स्थिति में जीवन काटने को मजबूर हैं।
एसोसिएशन की नई कार्यकारिणी के चुनाव सुंदरनगर में होने जा रहे हैं। चुनाव के बाद पेंशनर्स की अगली रणनीति तय की जाएगीए जिसमें संघर्ष को और व्यापक बनाने के संकेत हैं। एसोसिएशन ने साफ कर दिया है कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो वे प्रदेश स्तर पर बड़ा जन आंदोलन शुरू करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
राज्य सरकार का यह रवैया कई सवाल खड़े करता है। क्या पेंशनर्स की मेहनत और सेवा का कोई मोल नहीं ? क्या प्रदेश की वित्तीय नीतियों की असफलता का बोझ हमेशा सबसे कमजोर वर्ग पर ही डाला जाएगा ? बता दें कि हिमाचल प्रदेश में करीब दो लाख पेंशनर्स हैं। जिसमें से जनवरी 2016 से जनवरी 2022 के बीच सेवानिवृत हुए करीब 25 हजार पेंशनर्स का 1100 करोड़ रुपए सरकार के पास बकाया है। यह पैसा ना मिलने से उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।