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November 4, 2025

हिमाचल: शिक्षिका के साथ डेयरी उद्यमी बनी सोनिका, स्मार्ट वर्क से रची सफलता की कहानी

हर रोज 57 लीटर दूध बेचती है सोनिका, 74 हजार की करती है मासिक कमाई

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sonika dairy farming

बिलासपुर। आज जब अधिकतर युवा स्थायी नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं, वहीं घुमारवीं उपमंडल की दकड़ी पंचायत के गांव दाड़ा की सोनिका ने यह साबित किया है कि सफलता केवल सरकारी नौकरी से नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता और स्मार्ट वर्क से भी हासिल की जा सकती है। सोनिका ने सरकारी नौकरी के साथ साथ डेयरी फार्मिंग से सफलता की नई इवारत लिखी है।

शिक्षिका के साथ डेयरी उद्यमी बनी सोनिका

सोनिका मिनर्वा सीनियर सेकेंडरी स्कूल घुमारवीं में टीजीटी साइंस अध्यापिका के पद पर कार्यरत हैं। शिक्षिका होने के साथ.साथ वे एक सफल डेयरी उद्यमी भी हैं, जिन्होंने अपने कठिन परिश्रम और वैज्ञानिक सोच से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी है। 

 

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एक गाय से शुरू हुआ सफर

सोनिका ने वर्ष 2019 में अपने डेयरी सफर की शुरुआत केवल एक जर्सी गाय से की थी। आज उनके फार्म में छह गायें और एक हीफर (गर्भिणी बछिया) हैं। वे डेयरी को पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति से संचालित करती हैं। सोनिका दूध निकालने के लिए आधुनिक मिल्किंग मशीनों का प्रयोग करती है। इतना ही नहीं वह चाफ कटर मशीन से हरा चारा तैयार करना और पशुओं की सेहत के लिए पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों से निरंतर परामर्श लेना उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।

 

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सुबह 5 बजे दिन की शुरूआत

सोनिका के दिन की शुरूआत सुबह साढ़े पांच बजे हो जाती है। वह अपने डेयरी फार्म के सभी कार्य सुबह सात बजे तक निपटा लेती है और उसके बाद वह तैयार होकर अपनी ड्यूटी यानी स्कूल चली जाती है। शाम को स्कूल से लौटने के बाद वह फिर से डेयरी कार्यों में जुट जाती है। इन कार्यों में सोनिका को उसके पति के साथ साथ परिवार का भी पूरा साथ मिलता है। 

हर दिन 57 लीटर दूध, 74 हजार आमदनी

आज सोनिका प्रतिदिन लगभग 57 लीटर दूध का उत्पादन करती हैं, जिससे उन्हें करीब 74,000 मासिक शुद्ध लाभ होता है। यह 74 हजार की कमाई सभी खर्चों को निकाल कर हो रही है। यह केवल आर्थिक सफलता नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता की मिसाल है। सोनिका का कहना है कि आज युवा नौकरी के पीछे भाग रहे हैं, जबकि आत्मनिर्भर बनने के अनगिनत रास्ते हमारे आसपास ही हैं। अगर कोई महिला या युवक 1 या 2 गायों से भी शुरुआत करे, तो मेहनत और समझदारी से वह खुद और परिवार की आर्थिकी को मजबूत बना सकता है।

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सरकारी योजनाओं से मिला संबल

प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में गाय और भैंस के दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य क्रमशः 51 और 61 रुपए प्रति लीटर तय किया गया है। सहायक निदेशक पशुपालन विभाग डॉण् किशोरी लाल शर्मा के अनुसार पंजीकृत दुग्ध उत्पादक समितियों को 3 रुपए प्रति लीटर प्रोत्साहन राशि और दूध खरीद केंद्र से दो किलोमीटर से अधिक दूरी तक दूध ढोने वालों को 2 रुपए प्रति लीटर परिवहन उपदान दिया जा रहा है।

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शिक्षा, मेहनत और स्मार्ट वर्क का संगम

सोनिका का जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए एक संदेश है कि  अगर हम सोच बदलें और काम करने का तरीका आधुनिक बनाएं, तो आत्मनिर्भरता केवल नारा नहीं, जीवन की हकीकत बन सकती है। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं और युवाओं को यह दिखाया है कि शिक्षा सिर्फ नौकरी पाने का माध्यम नहीं, बल्कि स्वरोज़गार और नवाचार की कुंजी भी हो सकती है।

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