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June 19, 2025

हिमाचल : फोन से पढ़ाई कर राजसी ने क्वालीफाई किया NEET, डॉक्टर बनने का है सपना

बिना किसी कोचिंग के घर पर खुद की पेपर की तैयारी

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Rajsi Chaudhary

कांगड़ा। कहते हैं कि हौसले हों अगर बुलंद, तो रस्ता खुद बन जाता है, हर ठोकर पर गिर कर भी इंसान संभल जाता है। मेहनत के पसीने से जो सपने सींचे जाते हैं,
वो तारे भी ज़मीन पर उतर कर मिल जाते हैं। मंजिलें दूर नहीं रहतीं उन राही के लिए, जो रात भर जागकर अपना सूरज उगाते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले की बेटी राजसी चौधरी ने।

NEET में 605 अंक किए हासिल

हिमाचल प्रदेश के दुर्गम और सीमित संसाधनों वाले गांव टकोलीघिरथां की बेटी राजसी चौधरी ने प्रतिष्ठित NEET परीक्षा में 605 अंक हासिल करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर 1060वीं रैंक प्राप्त की है, और यह सफलता उन्होंने किसी कोचिंग संस्थान में गए बिना, केवल अपने घर पर खुद की मेहनत से अर्जित की है।

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बिना कोचिंग के पास की परीक्षा

राजसी चौधरी ने अपनी पूरी तैयारी बिना किसी कोचिंग के की। उन्होंने हर विषय की बारीकियों को खुद समझा, समय का बेहतर प्रबंधन किया और अपनी कमजोरियों को ताकत में बदल दिया। राजसी का कहना है कि “मैंने फोन की मदद से- ऑनलाइन संसाधनों और NCERT की किताबों को ही अपनी तैयारी का मुख्य आधार बनाया। मुझे भरोसा था कि निरंतर अभ्यास और आत्मविश्वास से मैं यह कर सकती हूं।”

तीसरे प्रयास में मिली सफलता

NEET जैसी कठिन परीक्षा को पास करना आसान नहीं होता, और राजसी को भी इस मुकाम तक पहुंचने में दो बार असफलता का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। तीसरे प्रयास में उन्होंने न केवल परीक्षा उत्तीर्ण की, बल्कि देशभर में बेहतर रैंक भी हासिल की। यह उपलब्धि उनके आत्मविश्वास, धैर्य और दृढ़ संकल्प की मिसाल है।

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माता-पिता बने प्रेरणा स्रोत

राजसी एक साधारण परिवार से आती हैं। उनके पिता राकेश रिहालिया, राज्य आबकारी एवं कराधान विभाग में असिस्टेंट स्टेट टैक्स एंड एक्साइज ऑफिसर (ASTEO) हैं और मां बंदना देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में सेवाएं दे रही हैं। राजसी बताती हैं कि उनकी सफलता का असली श्रेय उनके माता-पिता को जाता है। “मेरे माता-पिता ने मुझे कभी निराश नहीं होने दिया। हर बार जब मैं असफल हुई, उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।”

गांव की बेटियों के लिए बनी प्रेरणा

राजसी की सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे टकोलीघिरथां गांव के लिए गर्व का विषय है। सीमित सुविधाओं और संसाधनों के बीच रहकर उन्होंने यह दिखा दिया कि जुनून और मेहनत के आगे कोई बाधा मायने नहीं रखती। वह अब गांव की अन्य बेटियों के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं।

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सेवा का है सपना

राजसी का सपना केवल डॉक्टर बनना नहीं है, बल्कि एक ऐसा डॉक्टर बनना है जो गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा कर सके। उनका कहना है कि, “मैं डॉक्टर बनकर उन लोगों तक चिकित्सा सेवा पहुंचाना चाहती हूं, जो आज भी इलाज से वंचित हैं।”

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