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June 26, 2025

हिमाचल : किसान पिता ने पसीने की कमाई से पढ़ाई बेटी- पहले ही प्रयास में नितिका ने झटका 12वां रैक

नितिका बनी सहायक राज्य कर एवं आबकारी अधिकारी

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 Nitika Chaudhary

सिरमौर। किसी ने क्या खूब लिखा है कि छूने को आसमां निकली थी इक बेटी खेतों से, हौसलों ने राह बनाई थी सपनों की रेतों से। इन्हीं शब्दों को बखूबी चरितार्थ कर दिखाया है सिरमौर जिले की बेटी नितिका चौधरी ने।

मिसाल बनी नितिका चौधरी

सिरमौर जिला के आंजभोज क्षेत्र के छोटे से गांव किशनपुरा की नितिका चौधरी ने वो कर दिखाया है, जिसकी मिसाल अब आने वाली पीढ़ियां दिया करेंगी। उन्होंने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित एलाइड सर्विसेज परीक्षा 2023 में 12वीं रैंक हासिल कर सहायक राज्य कर एवं आबकारी अधिकारी पद पर चयन पाया है।

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किसानी करते हैं नीतिका के पिता

गौर करने वाली बात यह है कि नितिका ने इस कठिन परीक्षा को पहले ही प्रयास में पास किया है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। नितिका एक साधारण लेकिन मेहनतकश किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनके पिता महीपाल चौधरी खेतों में मेहनत कर परिवार का पेट पालते हैं, वहीं मां कमलेश देवी गृहिणी हैं, जिन्होंने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी।

खेती रहा परिवार का मुख्य साधन

परिवार की आय का प्रमुख साधन खेती ही रहा, मगर सीमित संसाधनों के बावजूद नितिका की पढ़ाई में कभी कोई रुकावट नहीं आने दी गई। चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी नितिका अब अपने परिवार की पहली सरकारी अधिकारी बनी हैं।

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दादा-दादी खुशी से भावुक

उनकी सफलता ने न सिर्फ उनके माता-पिता बल्कि पूरे गांव का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। दादा-दादी की आंखों में आंसू हैं, मगर वो आंसू अब संघर्ष के नहीं बल्कि संतोष और सुकून के हैं। नितिका अब अपने छोटे भाई-बहनों की पढ़ाई में भी मदद कर रही हैं, जिससे पूरे परिवार को एक नई दिशा मिली है।

 

शैक्षणिक पृष्ठभूमि की बात करें तो नितिका ने पांवटा साहिब के दून वैली स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और 12वीं में नॉन मेडिकल विषय के साथ 91.4% अंक अर्जित किए। इसके बाद 2021 में पांवटा साहिब कॉलेज से स्नातक की डिग्री पूरी की। ग्रेजुएशन के बाद एक वर्ष उन्होंने स्वअध्ययन में बिताया और फिर शिमला में कोचिंग लेकर तैयारी को और धार दी।

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HAS बनने का है सपना

नितिका का अगला लक्ष्य हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा (HAS) परीक्षा पास कर उच्च प्रशासनिक पद पर पहुंचना है। उनका कहना है, “यह सफलता मेरे लिए मंज़िल नहीं, बल्कि एक प्रेरक पड़ाव है। मैं राज्य सेवा में एक जिम्मेदार अधिकारी बनकर जनता के लिए काम करना चाहती हूं।” उनकी यह कहानी आज के युवाओं को यह सिखाती है कि अगर मेहनत और हौसला साथ हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।

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