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May 18, 2025

हिमाचल : डेढ़ साल की उम्र में छिन गया था पिता का साया, बेटी ने दिन-रात मेहनत कर बनाई पहचान

माता-पिता की इकलौती संतान है काव्या शर्मा

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Kavya Sharma

सिरमौर। ये लाइनें तो आप सभी ने सुनी ही होंगी कि- जो रास्तों में चट्टान बन खड़ी थी मुश्किलें, उन्हीं से बना पुल मेरी मंजिलों के लिए। संघर्ष की आग में जो तपे हैं हम, इसलिए सोने से चमके हैं हम। इन्हीं लाइनों को बखूबी चरितार्थ कर दिखाया है सिरमौर जिले की बेटी काव्या शर्मा ने।

12वीं में हासिल किए 91 प्रतिशत

काव्या शर्मा ने HP बोर्ड की 12वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में 91 प्रतिशत अंक हासिल कर अपना और अपनी मां का नाम प्रदेशभर में रोशन किया है। काव्या शर्मा की इस सफलता के बाद पूरे परिवार और क्षेत्र में खुशी का माहौल है।

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डेढ़ साल की उम्र में खोया पिता

काव्या शर्मा धारटीधार क्षेत्र के कांडो गांव की रहने वाली है। काव्या अपने माता-पिता की इकलौता संतान है। काव्या महज डेढ़ साल की थी जब उसके पिता का निधन हो गया था। काव्या को तब मालूम भी नहीं था कि उसके सिर से पिता का साया उठ गया है।

मां का रहा सहारा

पिता के देहांत के बाद काव्या के चाचा ने काव्या कि जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाई। मगर दुखद बात तो यह कि 6 महीने पहले एक सड़क हादसे में काव्या ने अपने चाचा को भी खो दिया। पिता और चाचा की मौत के बाद काव्या के पास सिर्फ उसकी मां रीना शर्मा का ही सहारा है।

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नहीं हारी कभी हिम्मत

काव्या के जीवन में इतने उतार-चढ़ाव आने के बाद भी काव्या ने हिम्मत नहीं हारी। इन विपरीत परिस्थितियों में काव्या कमजोर नहीं पड़ी और ना ही हिम्मत हारी। काव्या ने पढ़-लिख कर कुछ बनने की ठानी।

स्कूल की टॉपर बनी काव्या

काव्या ने कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से प्रदेशभर में अपना और अपने परिवार का नाम रोशन किया। काव्या ने अपने स्कूल राजकीय उच्च माध्यमिक पाठशाला बिरला में पहला स्थान हासिल किया है।

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काव्या ने ये सफलता हासिल कर साबित कर दिया है कि अगर मन में कुछ करने का संकल्प हो तो कोई भी कठिनाई आपको रोक नहीं सकती है। काव्या ये मुकाम हासिल कर पूरे क्षेत्र के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई है।

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