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December 14, 2025

हिमाचल : पिता ट्रक चलाकर पाल रहा परिवार, बेटा सेना में बड़ा अफसर बन लौटा घर

ट्रक ड्राइवर का बेटा बना लेफ्टिनेंट

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Himachal Pradesh Lieutenant

बिलासपुर। मुश्किल हालातों और सीमित संसाधनों के बावजूद भी जब हौसला बुलंद हो, तो कोई भी सपना असंभव नहीं होता। वीर भूमि हिमाचल के एक ट्रक ड्राइवर के बेटे ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के दम पर इसे साबित भी कर दिखाया है। दरअसल, जिला बिलासपुर के रहने वाले आदित्य शर्मा भारतीय सेना में बड़े अफसर बनकर अपने घर लौटे हैं।

बचपन से ही सेना में जाने का देखा था सपना

बिलासपुर जिले के घुमाणी गांव के रहने वाले आदित्य शर्मा को बचपन से ही सेना में जाने का सपना था। उन्होंने हमेशा देश सेवा का लक्ष्य अपने मन में रखा और उसी दिशा में मेहनत करते रहे। आज उनका यह सपना पूरा हो गया है, जिससे न केवल उनका परिवार गर्व महसूस कर रहा है, बल्कि पूरे क्षेत्र के युवाओं को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिल रही है।

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शैक्षणिक यात्रा रही अनुशासन और मेहनत की मिसाल

आदित्य शर्मा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई स्वामी विवेकानंद पाठशाला, कंदरौर से की, जहां से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होंने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला, घुमारवीं से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की। पढ़ाई के साथ-साथ आदित्य का झुकाव हमेशा अनुशासन, खेल-कूद और देशभक्ति की गतिविधियों की ओर रहा, जिसने उन्हें सेना में जाने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार किया।

तीन साल के कठिन प्रशिक्षण के बाद बने  लेफ्टिनेंट 

NDA की परीक्षा पास करने के बाद आदित्य शर्मा ने पुणे में राष्ट्रीय कक्षा अकादमी में तीन साल तक कड़ा प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी में एक साल का कठिन प्रशिक्षण पूरा किया। इस दौरान उन्होंने मेहनत, अनुशासन और लगन से हर चुनौती का सामना किया।

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संघर्ष कर हासिल की कामयाबी 

आदित्य शर्मा की सफलता इसलिए और भी खास मानी जा रही है क्योंकि उनका परिवार सामान्य आर्थिक स्थिति से ताल्लुक रखता है। उनके पिता रवि दत्त मेहनत-मजदूरी करते हुए ट्रक चलाकर घर की जिम्मेदारी संभालते हैं, जबकि उनकी मां कौरां शर्मा घर संभालने वाली गृहिणी हैं। बेटे के भारतीय सेना में अफसर बनने से पूरे परिवार की खुशियों का ठिकाना नहीं है।

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उनके 95 वर्षीय दादा नारायण दास और दादी यशोदा देवी अपने पोते को लेफ्टिनेंट बनते देखकर बेहद खुश हैं। आदित्य ने इस उपलब्धि के पीछे अपने माता-पिता, दादा-दादी और अपने स्कूल के अध्यापकों का विशेष योगदान माना है और उन्हें इसका श्रेय दिया है।

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