#धर्म
December 13, 2025
हिमाचल के इस मंदिर में बोलने लगते हैं गूंगे, मुराद पूरी होने पर भक्त चढ़ाते हैं चांदी की जीभ
पुराने बिलासपुर से नए शहर में स्थापित की गईं माता
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बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश में चमत्कार होना कोई नई बात नहीं है। देव भूमि होने के चलते यहां विभिन्न देवताओं और देवियों के चमत्कारों के बारे में अकसर बात होती है। इसी कड़ी में जुड़ता है प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित माता गासिया का मंदिर।
पुजारी के मुताबिक गासिया का अर्थ होता है- ईल जो आसमान में उड़ती है और हर जीव का मांस खाती है जो उसका अधिकार भी है लेकिन जब आदमी को जला दिया जाता है या दफना दिया जाता है तो ईल को उसका हक नहीं मिलता।
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हक से वंचित होने के परिणाम में ईल योगिणियों के रूप में परिवार के बच्चों में बीमारी के रूप में आती है जिसमें बच्चा या तो बोल नहीं पाता, कम बोलता है या साफ नहीं बोल पाता। इस खोट दोश से राहत पाने के लिए लोग मां गासिया के दरबार पहुंचते हैं।
जो मां में विश्वास रखते हैं वो बच्चों के ठीक होने के लिए मां को अखरोट चढ़ाते हैं और ये भी सुखना करते हैं कि अगर बच्चा पूरी तरह से बोलने लगा तो वे मंदिर में चांदी की जीभ भी चढ़ाएंगे।
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वहीं अखरोट चढ़ाने के पीछे भी एक वजह बताई जाती है। किसी भी फल को आपस में रगड़ो तो कोई आवाज नहीं आएगी लेकिन अखरोट को रगड़ने पर कड़-कड़ की आवाज आती है। मान्यता है कि अखरोट चढ़ाते वक्त यही कामना की जाती है बच्चा भी कड़-कड़ बोलना शुरू कर दे।
मां गासिया का मंदिर बिलासपुर जिला मुख्यालय पर लक्ष्मी नारायण मंदिर के परिसर में स्थित रंगनाथ मंदिर में स्थापित है। यहां मां गासिया की मूर्तियां रखी गई हैं। इन मूर्तियों को पुराने बिलसापुर से लाकर ही यहां रखा गया है।
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पुराने बाजार में जहां मां गासिया स्थापित थीं, वहां भी ईलें बैठी मिला करती थीं। शहर के जलमग्न होने के बाद मां को नए शहर लाया गया। आज भी यहां मां की पूजा वैसे ही होती है जैसे पहले हुआ करती थी। लोग खासकर मंगलवार के दिन यहां पहुंचते हैं।